क्या महाराष्ट्र में संयुक्त मार्च के ऐलान पर भाजपा ने उद्धव और राज ठाकरे को आईना दिखाया?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी भाषा पर चल रहा विवाद राजनीतिक स्वार्थों का परिणाम है।
- भाजपा ने ठाकरे को उनकी पुरानी बातों के लिए घेरा है।
- महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि हिंदी अनिवार्य नहीं है।
- राजनीतिक लाभ के लिए दोनों ठाकरे भाई इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- केंद्रीय मंत्री ने हिंदी के समर्थन में बात की है।
मुंबई, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में 'हिंदी भाषा' को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा होता जा रहा है। मनसे और शिवसेना-यूबीटी द्वारा संयुक्त मार्च की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा जवाब दिया। भाजपा ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को आईना दिखाते हुए कहा कि वे केवल नाटक कर रहे हैं।
भाजपा विधायक राम कदम ने कहा, "उद्धव ठाकरे की टीम का नाटक देखिए। फरवरी 2022 में जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने हिंदी भाषा को स्वीकार किया था। अब वे उसी भाषा का विरोध करते हुए सड़कों पर उतर रहे हैं।"
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत ने स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "पहले खुद उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी में हिंदी को अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया था। जिन्होंने हिंदी सख्ती का प्रपोजल स्वीकार किया, वे (उद्धव ठाकरे) आंदोलन कर रहे हैं।"
भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा, "उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2022 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी को स्वीकार करने का काम किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर त्रिभाषा में हिंदी को शामिल किया, यह उद्धव ठाकरे को याद रखना चाहिए।"
आशीष शेलार ने पलटवार करते हुए कहा, "1968 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी। उद्धव ठाकरे कांग्रेस के मित्र हैं, उन्हें यह पता होना चाहिए।"
भाजपा नेता ने राज ठाकरे को भी घेरा और कहा, "मनसे प्रमुख को कहना चाहता हूं कि 5वीं से 7वीं तक हिंदी को अनिवार्य करने का निर्णय कांग्रेस ने लिया था। उस समय उद्धव ठाकरे ने कुछ नहीं कहा था, जबकि हमने अनिवार्यता हटा दी। छात्र अपनी इच्छा से निर्णय ले सकता है।"
भाजपा को हिंदी विवाद पर महाराष्ट्र में अपने सहयोगियों का भी समर्थन मिल रहा है। शिवसेना-शिंदे गुट की नेता साइना एनसी ने विपक्ष के विरोध पर कहा, "यह सब केवल बीएमसी चुनाव के लिए किया जा रहा है। दोनों ठाकरे भाई केवल राजनीति के लिए यह सब कर रहे हैं।"
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा, "हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हिंदी का विरोध करना संविधान का विरोध करना है।"
उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों से अपील की कि "उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के दबाव में आकर कोई गलत निर्णय नहीं लेना चाहिए।"