क्या भगवद गीता मानव जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ है? : महिपाल ढांडा

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क्या भगवद गीता मानव जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ है? : महिपाल ढांडा

सारांश

हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने मनुस्मृति पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भगवद गीता की महत्ता को उजागर करते हुए बताया कि यह ग्रंथ जीवन का सच्चा मार्गदर्शक है। आइए जानते हैं उनके विचारों के पीछे की प्रेरणा और गीता का महत्व।

Key Takeaways

  • भगवद गीता को जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ माना गया है।
  • हरियाणा सरकार मनुस्मृति पर विचार नहीं कर रही है।
  • संस्कृत भाषा की महत्ता को समझना आवश्यक है।
  • ज्ञान का प्रचार-प्रसार जरूरी है।
  • हिंदू धर्म जीवन जीने की पद्धति है।

पानीपत, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने मनुस्मृति ग्रंथ पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार अभी मनुस्मृति के संदर्भ में कोई विचार नहीं कर रही है।

उन्होंने भगवद गीता को मानव जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ बताते हुए कहा कि यह एक अनमोल धरोहर है, जो पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्त है। गीता के हर श्लोक और शब्द में जीवन को रचने और बसाने की कला समाहित है।

शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने आगे कहा कि जीवन जीने की कला और भक्ति जैसी अनमोल धरोहर केवल भारतीय संस्कृति में ही मौजूद है, जो अन्यत्र नहीं मिलती। ज्ञान को किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने इसे परमात्मा की देन बताते हुए कहा कि ज्ञान को जितना ग्रहण करना चाहें, उतना ग्रहण किया जा सकता है और इसका प्रचार-प्रसार भी उतना ही आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट हर चीज का विरोध कर सकते हैं, लेकिन यह ज्ञान की व्यापकता को कम नहीं करता।

शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने संस्कृत भाषा की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने संस्कृत को ज्ञान की भाषा करार देते हुए कहा कि इसमें लिखे गए ग्रंथ मानव कल्याण के लिए समर्पित हैं। इन ग्रंथों में ब्रह्मांड से लेकर पाताल तक की सटीक जानकारी उपलब्ध है। ढांडा ने दावा किया कि आधुनिक विज्ञान अभी हिंदू धर्म के ज्ञान के एक प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाया है।

उन्होंने हिंदू धर्म को जीवन जीने की पद्धति करार दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म की जीवनशैली इतनी विकसित है कि इसमें संपूर्ण ब्रह्मांड और इस जगत की सटीक जानकारी ग्रंथों में संकलित है। जो ग्रंथ मानव जीवन के कल्याण, सृष्टि और प्रकृति के संरक्षण व विकास के लिए ज्ञान प्रदान करते हैं, वे सभी हमारे पास पहले से ही उपलब्ध हैं। इन ग्रंथों की पढ़ाई और व्याख्या को बढ़ावा देना चाहिए। इस तरह के ज्ञान के प्रचार-प्रसार से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम शिक्षा और संस्कृति के महत्व को समझें। महिपाल ढांडा के विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में कितनी गहराई और ज्ञान भरा हुआ है। हमें इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
NationPress
17/07/2025

Frequently Asked Questions

महिपाल ढांडा ने भगवद गीता के बारे में क्या कहा?
महिपाल ढांडा ने भगवद गीता को जीवन का मार्गदर्शक ग्रंथ बताया और इसके महत्व को उजागर किया।
क्या हरियाणा सरकार मनुस्मृति पर विचार कर रही है?
नहीं, महिपाल ढांडा ने स्पष्ट किया कि हरियाणा सरकार अभी मनुस्मृति के संबंध में कोई विचार नहीं कर रही है।
संस्कृत भाषा की महत्ता क्या है?
महिपाल ढांडा ने संस्कृत को ज्ञान की भाषा करार दिया और कहा कि इसमें मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए हैं।