क्या अगली दो तिमाहियों में महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे रहने की संभावना है?

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क्या अगली दो तिमाहियों में महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे रहने की संभावना है?

सारांश

भारत में महंगाई दर में कमी की संभावनाएं बढ़ रही हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट से महंगाई दर अगले दो तिमाहियों में 4 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है। यह रिपोर्ट भारत के आर्थिक परिदृश्य में सकारात्मक संकेत देती है।

Key Takeaways

  • महंगाई दर अगली दो तिमाहियों में 4 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान।
  • खाद्य कीमतों में गिरावट ने महंगाई दर को प्रभावित किया।
  • सीपीआई महंगाई जून 2025 में 2.1 प्रतिशत पर आ गई।
  • आरबीआई दरों को यथावत रखने की संभावना।
  • विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर है।

नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अनुकूल आधार और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के चलते भारत में मुख्य महंगाई दर अगली दो तिमाहियों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है।

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई में हालिया कमी मुख्यतः खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण आई है, जिसके चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की महंगाई जून 2025 में घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई है, जो जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में महंगाई दर कम रहने की संभावना है, लेकिन तीसरी तिमाही से इसमें वृद्धि शुरू हो सकती है और चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आधार प्रभाव के कम होने पर यह 4 प्रतिशत का स्तर पार कर सकती है।

वित्त वर्ष 26 के लिए रेटिंग्स एजेंसी का अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई औसतन लगभग 3.1 प्रतिशत रहेगी, जो आरबीआई के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया, "हालांकि, वित्त वर्ष 26 में कम आधार के कारण, वित्त वर्ष 27 में महंगाई लगभग 4.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।"

जून में महंगाई में भारी गिरावट का कारण सब्जियों, दालों, मसालों और मांस सहित खाद्य और पेय पदार्थों में अपस्फीति थी।

हालांकि, खाद्य तेलों और फलों की कीमतों में दोहरे अंकों में महंगाई जारी रही।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आयात पर निर्भरता के कारण खाद्य तेल की ऊंची कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं और सीमा शुल्क में हालिया कटौती और खरीफ की अच्छी बुवाई से आने वाले महीनों में दबाव कम करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई आगामी अगस्त मौद्रिक नीति बैठक में दरों को यथावत रख सकता है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख और डॉलर के मजबूत होने के साथ, केंद्रीय बैंक पहले की दरों में कटौती के प्रभाव का आकलन करने के लिए वेट एंड वॉच का आउटलुक अपना सकता है।

वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत के एक्सटर्नल सेक्टर की स्थिति मजबूत बनी हुई है और विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर पर है और वित्त वर्ष 26 में चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवाओं के बेहतर निर्यात से एक्सटर्नल सेक्टर को समर्थन मिलता रहेगा।

Point of View

यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक स्थिरता की ओर इशारा करती है। महंगाई दर की कमी से आम जनता को राहत मिलेगी और यह सरकार के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, हमें अभी भी सतर्क रहना होगा, खासकर खाद्य तेलों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को लेकर।
NationPress
03/08/2025

Frequently Asked Questions

महंगाई दर में कमी के क्या कारण हैं?
महंगाई दर में कमी का मुख्य कारण खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट है।
क्या महंगाई दर फिर से बढ़ सकती है?
हां, रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरी तिमाही से महंगाई दर में वृद्धि हो सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
आरबीआई की मौद्रिक नीति में दरों को यथावत रखने की संभावना है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है?
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर पर है।
महंगाई दर का क्या अनुमान है?
वित्त वर्ष 26 में CPI महंगाई औसतन 3.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।