क्या मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 बरी होना एक सही फैसला है?

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क्या मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 बरी होना एक सही फैसला है?

सारांश

मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा ठाकुर और अन्य 6 आरोपियों को बरी किया गया है। हरियाणा के मंत्रियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। क्या यह न्याय का सही उदाहरण है? जानें इस फैसले के पीछे की सच्चाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।

Key Takeaways

  • मालेगांव ब्लास्ट केस में 7 आरोपी बरी हुए हैं।
  • कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे।
  • भाजपा नेताओं ने फैसले का स्वागत किया है।
  • यह फैसला न्यायपालिका की स्वतंत्रता को दर्शाता है।
  • हरियाणा के मंत्रियों ने भी खुशी जताई है।

चंडीगढ़, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मालेगांव ब्लास्ट केस में प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत 7 आरोपियों को बरी किए जाने के बाद भाजपा नेताओं ने अपनी खुशी व्यक्त की है। हरियाणा सरकार के मंत्री गौरव गौतम और कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने इस फैसले का स्वागत किया है।

हरियाणा के खेल मंत्री गौरव गौतम ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "अदालत का जो फैसला आया है, उस पर हर देशवासी को भरोसा है।" उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को दोहराते हुए कहा, "हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता, इस पर हमारा सरोकार है। हम पूरा समर्थन करते हैं।"

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा ने भी मालेगांव मामले में आए फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, "मैं साध्वी प्रज्ञा और उनके सहयोगियों को बधाई देता हूँ। कोर्ट के फैसले से यह साबित हो गया है कि उन पर लगे आरोप सही नहीं थे।"

रणबीर गंगवा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी और हिंदू हमेशा कांग्रेस के निशाने पर रहते हैं। कांग्रेस खासकर भगवा के खिलाफ बोलने का कार्य करती है। हिंदू हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करने वाला और अहिंसा में विश्वास करने वाला होता है, लेकिन कांग्रेस हमेशा गलत तरीके से टारगेट करने की कोशिश करती है।"

मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद गुरुवार (31 जुलाई) को फैसलामहाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाकों में 6 लोग मारे गए थे। 2011 में मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय आरोपियों में शामिल थे, लेकिन जांच एजेंसियों को उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले। गुरुवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया। फैसले में कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि न्यायालय का निर्णय हमेशा तथ्यों और सबूतों पर आधारित होना चाहिए। इस मामले में, बरी किए गए व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले, जो न्याय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह निर्णय न्यायालय की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को दर्शाता है।
NationPress
01/08/2025

Frequently Asked Questions

मालेगांव ब्लास्ट केस क्या है?
मालेगांव ब्लास्ट केस 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाकों से संबंधित है, जिसमें 6 लोग मारे गए थे।
कौन-कौन से आरोपी बरी हुए हैं?
इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 आरोपियों को बरी किया गया है।
अदालत ने बरी करते समय क्या कहा?
अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले।
इस फैसले पर भाजपा नेताओं की क्या प्रतिक्रिया है?
भाजपा नेताओं ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है।
यह फैसला देश में क्या प्रभाव डालेगा?
यह फैसला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को दर्शाता है।