क्या आप जानते हैं मल्लिकार्जुन महादेव का रहस्य, जहां शिव और शक्ति साथ हैं?

सारांश
Key Takeaways
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व और पूजा विधि
- भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन स्थल
- शक्तिपीठों में मल्लिकार्जुन की विशेष मान्यता
- पवित्र स्थान के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति
- भगवान कार्तिकेय से जुड़ी कथा
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश कहा जाता है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती एक साथ विराजमान हैं। माता पार्वती का नाम 'मल्लिका' और भगवान शिव का नाम 'अर्जुन' है। इस प्रकार, यहां महादेव को श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "फूलों का स्वामी"।
यह मंदिर श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है और इसकी कथा भगवान कार्तिकेय से जुड़ी हुई है। इसे शक्तिपीठों में भी गिना जाता है।
इस ज्योतिर्लिंग के बारे में शास्त्रों में कहा गया है: श्रीशैलश्रृंगे विबुधातिसंगेतुलाद्रितुंगेsपि मुदा वसन्तम। तमर्जुनं मल्लिकापूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम। इसका अर्थ है कि जो ऊंचाई के पर्वतों से भी ऊपर, जहां देवताओं का समागम रहता है, निवास करते हैं, उन प्रभु मल्लिकार्जुन को मैं प्रणाम करता हूं।
यह स्थान भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिव पुराण की कोटिरुद्रसंहिता में विस्तार से किया गया है। यहां की पूजा से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, जिसमें इसे भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान बताया गया है।
शास्त्रों में कहा गया है कि अमावस्या तिथि को भगवान शिव और पूर्णिमा को माता पार्वती यहां आते हैं। इस मंदिर को भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी और भ्रामरंबा को समर्पित किया गया है।
यहां मल्लिकार्जुन मंदिर के साथ हीं श्रीशैलम की पहाड़ियों पर भ्रामराम्बा देवी का मंदिर भी है। यह देवी पार्वती का एक रूप है। लोग मानते हैं कि देवी सती की गर्दन यहां गिरी थी, जिससे यह अष्ट महाशक्ति पीठों में से एक बन गया।
इस मंदिर में देवी की आठ भुजाएं हैं। यह मंदिर श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर का एक हिस्सा है, जहां भगवान शिव और देवी पार्वती की एक साथ पूजा होती है।
यहां पास ही में इस्तकामेश्वरी मंदिर भी स्थित है, जो देवी पार्वती के एक रूप को समर्पित है। लोग मानते हैं कि देवी अपने भक्तों की इच्छाएं पूरी करती हैं।
दो किलोमीटर दूर श्री साक्षी गणपति स्वामी
यहां पास में हाटकेश्वरम क्षेत्र है, जो श्रीशैलम पहाड़ियों के पश्चिमी किनारे से 5 किमी दूर स्थित है। इस स्थान का विस्तार से उल्लेख स्कंद पुराण में किया गया है।
श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर से 1 किमी दूर पथला गंगा है, जहां भक्तगण कृष्णा नदी में पवित्र स्नान कर सकते हैं। यहां सीढ़ियां और लोहे की जंजीरें हैं ताकि भक्त नदी के तेज़ बहाव से सुरक्षित रह सकें।