क्या ममता बनर्जी की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी?
सारांश
Key Takeaways
- सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।
- बंगाल की धरती एकता का प्रतीक है।
- धर्म किसी का होता है, पर त्योहार सभी के होते हैं।
- बंगाल में सभी धर्मों के लोग कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं।
- शांति और सद्भाव की अपील की गई।
कोलकाता, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विवादित ढांचे के ध्वंस की बरसी को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) हर साल 'सद्भाव दिवस' के रूप में मनाती है। शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बिना निहित स्वार्थों की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का संकेत दिया।
मुख्यमंत्री ने एक सोशल मीडिया बयान में कहा, "जो लोग इस देश को बर्बाद करने के लिए सांप्रदायिकता की आग भड़काने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।"
उन्होंने लोगों से इस अवसर पर राज्य में शांति और सद्भाव की परंपरा को पुनर्स्थापित करने की अपील की।
उन्होंने कहा, "एकता ही शक्ति है। सबसे पहले, मैं 'एकता दिवस', 'सद्भाव दिवस' के अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। बंगाल की धरती एकता की धरती है। यह धरती रवींद्रनाथ की, नजरुल की, रामकृष्ण और विवेकानंद की धरती है। इस धरती ने कभी भी बंटवारे के आगे सिर नहीं झुकाया है।"
उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में सभी धर्मों के लोग कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। हम अपनी खुशियों को बांटते हैं। हमारा मानना है कि धर्म किसी का होता है, लेकिन त्योहार सभी के होते हैं।
शनिवार को, तृणमूल कांग्रेस ने सेंट्रल कोलकाता के एस्प्लेनेड में वार्षिक 'सद्भाव दिवस' कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल हुए।
दूसरी ओर, उसी जिले में भरतपुर निर्वाचन क्षेत्र से निलंबित तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में एक बाबरी मस्जिद का शिलान्यास समारोह आयोजित किया।
बेलडांगा में प्रस्तावित मस्जिद उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मूल निर्माण के अनुरूप होगी।