क्या मानवाधिकार संगठन ने बांग्लादेश में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई है?

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क्या मानवाधिकार संगठन ने बांग्लादेश में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई है?

सारांश

एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने बांग्लादेश में मानवाधिकारों की स्थिति और कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। ईयू प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से पहले यह पत्र भेजा गया है, जिसमें सरकार द्वारा किए गए उल्लंघनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। क्या बांग्लादेश में सुधार संभव है?

Key Takeaways

  • मानवाधिकार उल्लंघन में वृद्धि हुई है।
  • आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।
  • ईयू प्रतिनिधिमंडल सुधारों का आकलन करेगा।
  • पत्रकारों की स्वतंत्रता पर खतरा है।
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है।

ढाका, १५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिनिधिमंडल की तीन दिवसीय बांग्लादेश यात्रा से पूर्व गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन ने अपने पत्र में कहा है कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में देश की कानून-व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, मानवाधिकार उल्लंघन में वृद्धि हुई है और आर्थिक स्थिति भी दयनीय हो चुकी है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ईयू का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल १६ से १८ सितंबर तक बांग्लादेश का दौरा करेगा। इसमें अर्कादियुश मुलार्चिक (पोलैंड), उर्मास पायट (एस्टोनिया), मुनिर सातौरी (फ्रांस), मानवाधिकार उपसमिति की अध्यक्ष इसाबेल विसेलर-लिमा (लक्जमबर्ग) और कैटरीना विएरा (नीदरलैंड) शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश में सुधारों और मानवाधिकार की स्थिति का मूल्यांकन करेगा।

जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस (जेएमबीएफ) ने पत्र में कहा है कि यूनुस सरकार के कार्यकाल में अब तक ६३७ से अधिक लोग संगठित भीड़ हिंसा में मारे गए हैं, जिनमें २०५ नेता और कार्यकर्ता सत्तारूढ़ अवामी लीग और उससे जुड़े संगठनों से थे।

संगठन ने बताया कि पिछले एक वर्ष में हिरासत में गोलीबारी, यातना और जानबूझकर चिकित्सीय लापरवाही से ७० से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिनमें अधिकांश अवामी लीग के समर्थक थे।

पत्र में यह भी कहा गया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों पर हमले व्यापक रूप से हुए हैं। १,४९४ मूर्तियां और शिल्पकृतियां तोड़ी गईं, १२० मज़ार नष्ट कर दिए गए, १७ चर्च जलाए गए और अल्पसंख्यक समुदायों पर २,४४२ हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें हत्या, बलात्कार, आगजनी और पूजा स्थलों पर हमले शामिल हैं।

संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि २०० से अधिक दोषी चरमपंथियों और संदिग्धों को जमानत पर रिहा किया गया है, जिससे मानवाधिकार सुरक्षा के सामने गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं।

पत्र के अनुसार, पत्रकारों और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी गहरा खतरा मंडरा रहा है। पिछले एक वर्ष में १६७ पत्रकारों के मान्यता पत्र रद्द किए गए, २६६ पत्रकारों को झूठे हत्या मामलों में फंसाया गया और १४ से अधिक पत्रकारों को फर्जी आरोपों पर गिरफ्तार किया गया।

जेएमबीएफ ने यह भी दावा किया कि अंतरिम सरकार सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों पर सीधा नियंत्रण रख रही है। इससे पीड़ितों को न्याय से वंचित होना पड़ रहा है। ५० से अधिक न्यायाधीशों को डराया-धमकाया गया, इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया या उन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया।

इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और यौन शोषण की घटनाएं बढ़ी हैं। शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और छात्र भी हिंसा, धमकियों और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर पाबंदियों का सामना कर रहे हैं।

संगठन ने ईयू की मानवाधिकार उपसमिति से अपील की है कि बांग्लादेश की स्थिति पर सीधा ध्यान दें और अंतर्राष्ट्रीय निगरानी तथा सिफारिशों के माध्यम से अंतरिम सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को जवाबदेह बनाएं।

Point of View

मेरा मानना है कि मानवाधिकारों की स्थिति पर ध्यान देना आवश्यक है। बांग्लादेश में हो रहे उल्लंघनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघन के मुख्य कारण क्या हैं?
मुख्य कारणों में राजनीतिक अस्थिरता, सरकार का दमनात्मक रवैया और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले शामिल हैं।
ईयू प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का क्या उद्देश्य है?
इसका उद्देश्य बांग्लादेश में मानवाधिकार स्थिति का आकलन करना और सुधारों की आवश्यकता को समझना है।
क्या बांग्लादेश में सुधार की उम्मीद है?
यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सक्रिय कदम उठाता है, तो सुधार संभव हैं।