क्या मनरेगा का नाम बदलने पर सियासी संग्राम शुरू हो गया है? प्रियंका गांधी ने कहा- सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है
सारांश
Key Takeaways
- मनरेगा का नाम बदलने से सियासी हलचल बढ़ी है।
- कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया है।
- सरकार को ग्रामीण विकास के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर 'विकसित भारत जी राम जी' योजना करने का प्रस्ताव राजनीतिक विवाद को जन्म दे रहा है। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम नाम परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण रोजगार योजना की मूल भावना और विकेंद्रीकरण की सोच को कमजोर किया जाएगा।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली में इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार बार-बार उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र करते हुए यह कहती है कि केंद्र से भेजा गया पैसा सही जगह तक नहीं पहुंचता।
उन्होंने कहा कि इसी सोच के कारण पंचायती राज विधेयक लाया गया था ताकि धन सीधे गांवों तक पहुंचे और पंचायतें तय करें कि उस पैसे का उपयोग कहाँ और कैसे किया जाए।
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य ही यह था कि गांवों को अधिकार मिले और स्थानीय स्तर पर फैसले लिए जाएं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सरकार अब इसके विपरीत कार्य कर रही है, तो वह भ्रष्टाचार समाप्त करने की बात कैसे कर सकती है। नए विधेयक में सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच रही है।
उन्होंने कहा, "आप जिम्मेदारी लीजिए, लेकिन आप उससे भाग रहे हैं।"
प्रियंका गांधी वाड्रा ने यह भी कहा कि पहले मनरेगा के तहत आने वाले कुल फंड का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार से आता था, लेकिन नए विधेयक में इसे घटाया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि सरकार न तो जिम्मेदारी लेना चाहती है और न ही जनता के अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हर मामले में सत्ता को केंद्रीत करना चाहती है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने भी मनरेगा का नाम बदलने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि उनके अनुसार इस तरह का कोई नया विधेयक लाने की कोई जरूरत नहीं है। यह विधेयक गांधीजी के प्रति भाजपा की पुरानी विरोधी सोच को उजागर करता है।
रामगोपाल यादव ने कहा कि गांधीजी की हत्या से लेकर आज तक भाजपा पर लगातार आरोप लगते रहे हैं और इस विधेयक से वही मानसिकता झलकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस बिल में नया क्या है।
उन्होंने कहा, "अगर बापू के नाम से इतनी नफरत है, तो हम इस बिल का समर्थन नहीं कर सकते।"
रामगोपाल यादव ने यह भी कहा कि भले ही सरकार अपने बहुमत के बल पर इस विधेयक को पास करा ले, लेकिन इसकी कोई वास्तविक आवश्यकता नहीं है।