क्या पीएसए के तहत मेहराज मलिक की गिरफ्तारी कानून का दुरुपयोग है?

सारांश
Key Takeaways
- मेहराज मलिक को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया।
- मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे कानून का दुरुपयोग बताया।
- गिरफ्तारी पर एसपी वैद का समर्थन।
- 1978 से लागू पीएसए विवादास्पद रहा है।
- मलिक जम्मू-कश्मीर के पहले विधायक हैं जिन पर यह मामला दर्ज हुआ है।
जम्मू, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और डोडा से वर्तमान विधायक मेहराज मलिक को सोमवार को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस कानून के अंतर्गत आप नेता की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया और इसे कानून का दुरुपयोग बताया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मेहराज मलिक को पीएसए के तहत हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है। वे 'जन सुरक्षा' के लिए कोई खतरा नहीं हैं और उन्हें हिरासत में रखने के लिए इस बदनाम कानून का इस्तेमाल करना गलत है। अगर एक निर्वाचित सरकार एक निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ अपनी शक्तियों का इस तरह इस्तेमाल कर सकती है तो कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतंत्र में विश्वास बनाए रखेंगे?"
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने आप नेता की गिरफ्तारी को सही ठहराया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "जम्मू-कश्मीर में एकमात्र आप विधायक मेहराज मलिक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को गालियां देने और युवाओं में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए विवाद पैदा करने के आदी हैं। रिपोर्टों के अनुसार, उनके खिलाफ 18 एफआईआर और 10 दैनिक डायरी रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। एक जनप्रतिनिधि को जनता से जुड़े मुद्दे उठाने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसे सरकारी कर्मचारियों पर शारीरिक हमला करने का अधिकार है।"
उन्होंने कहा, "आखिरकार वह एक आम आप उम्मीदवार हैं। उन पर युवाओं को प्रशासन के खिलाफ भड़काने का भी आरोप है। डोडा प्रशासन पहले से ही बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रहा है, खासकर हाल ही में आई बाढ़ के बाद। उन्हें पीएसए अधिनियम के तहत हिरासत में लेना सही है।"
बता दें कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान 1978 में लागू किया गया यह पीएसए अधिकारियों को न्यायिक हस्तक्षेप के बिना किसी व्यक्ति को दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है।
मूलरूप से लकड़ी की तस्करी से निपटने के लिए बनाया गया यह कानून तब से अलगाववादियों और जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा माने जाने वाले लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता रहा है। मलिक इस केंद्र शासित प्रदेश के पहले मौजूदा विधायक हैं, जिन पर इस कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है।