क्या प्रधानमंत्री मोदी भूटान के चतुर्थ नरेश से मिलेंगे और समारोह में भाग लेंगे?

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क्या प्रधानमंत्री मोदी भूटान के चतुर्थ नरेश से मिलेंगे और समारोह में भाग लेंगे?

सारांश

प्रधानमंत्री मोदी का भूटान दौरा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। चतुर्थ नरेश से मिलने के साथ-साथ, मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी संकेत दिया। इस यात्रा से भारत-भूटान के संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे।

Key Takeaways

  • द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मोदी की यात्रा महत्वपूर्ण है।
  • भूटान के चतुर्थ नरेश के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों की पुष्टि।
  • 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन।
  • भारत-भूटान के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा।
  • प्रधानमंत्री मोदी का सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेश।

थिम्पू, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भूटान के चतुर्थ नरेश से मुलाकात करेंगे और एक विशेष समारोह में भाग लेंगे। इसके बाद, वे नई दिल्ली की ओर लौटेंगे। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और पड़ोसी प्रथम नीति की प्रतिबद्धता को संकल्पित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

मंगलवार को, प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने ऊर्जा, क्षमता निर्माण, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर गहन चर्चा की।

प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद, दोनों नेताओं ने मिलकर 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना भारत और भूटान के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग का प्रतीक है, जो दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "भूटान के राजा, महामहिम जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक के साथ हमारी बैठक बहुत सफल रही। हमने भारत-भूटान संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की।"

उन्होंने आगे कहा, "हमने ऊर्जा, क्षमता निर्माण, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा में सहयोग पर विचार-विमर्श किया। भारत भूटान की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण भागीदार होने पर गर्व महसूस करता है।"

दोनों देशों के बीच सदियों पुरानी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को उजागर करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को थिम्पू के ताशिछोद्ज़ोंग में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों से आशीर्वाद लेने के लिए भूटान के नरेश के साथ भाग लिया।

ग्रैंड कुएनरे हॉल में रखे गए ये अवशेष चौथे राजा की 70वीं जयंती और भूटान की शाही सरकार द्वारा आयोजित वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रदर्शनी के लिए भारत से भेजे गए थे।

प्रधानमंत्री ने भूटान के चौथे राजा की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भी हिस्सा लिया और भारत और भूटान के बीच स्थायी मित्रता और आध्यात्मिक संबंधों की पुष्टि की।

Point of View

जिससे न केवल द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा यह दर्शाती है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी भूटान क्यों गए हैं?
प्रधानमंत्री मोदी भूटान में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और पड़ोसी प्रथम नीति की पुष्टि के लिए गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के नरेश के बीच किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा, क्षमता निर्माण, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का क्या महत्व है?
यह परियोजना भारत और भूटान के बीच ऊर्जा साझेदारी को दर्शाती है और दोनों देशों के बीच सहयोग का एक प्रमुख उदाहरण है।