क्या ब्रिटिश सरकार अपने गुप्तचरों के जरिए संघ की सभी जानकारियों को जानती थी?: मोहन भागवत

सारांश
Key Takeaways
- ब्रिटिश सरकार ने संघ का गुप्त सर्वेक्षण किया था।
- आदर्शों से प्रेरित मार्ग चुनौतियों से भरा होता है।
- महिलाओं की भूमिका संघ में बढ़ रही है।
- बदलाव स्वयंसेवकों के जीवन से शुरू होता है।
- पुस्तक 'तन समर्पित, मन समर्पित' महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान समाज, परिवर्तन और आदर्शों पर कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
भागवत ने बताया, "1942 के बाद, ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों के माध्यम से संघ का विस्तृत सर्वेक्षण करवाया। मुझे विदर्भ और खानदेश के क्षेत्रों में शाखाओं के दस्तावेज मिले। गुप्तचरों के पास कितनी जानकारी थी, यह देखकर मैं दंग रह गया। उनके पास यह रिकॉर्ड था कि किस शाखा में कितने नियमित संघ सदस्य थे, उनके नाम और कितने पूर्णकालिक कार्यकर्ता थे। उनके पास गतिविधियों, भाषणों और उनके विषय में भी जानकारी थी। अंत में, लगभग हर कलेक्टर ने टिप्पणी की कि ये लोग अभी शांत हैं, लेकिन जब आंदोलन शुरू होगा, तब ये हमारे लिए बड़ी चुनौती बनेंगे। संघ तब भी बड़ा हो गया।"
उन्होंने कहा, "आदर्श सितारों की तरह होते हैं, जिन्हें छूना संभव नहीं, लेकिन उनकी रोशनी हमें मार्गदर्शन करती है।" उन्होंने बताया कि आदर्शों से प्रेरित मार्ग चुनौतियों से भरा होता है और आम लोग उस पर चलने में झिझकते हैं। ऐसे में किसी साथी की आवश्यकता होती है जो मार्गदर्शन कर सके।
संघ प्रमुख ने परिवर्तन पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि जीवन में बदलाव लाकर ही समाज में परिवर्तन संभव है। "बदलाव कैसे आएगा? यह स्वयंसेवकों के जीवन में पहले दिखना चाहिए।"
मोहन भागवत ने समाज में महिलाओं की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि संघ के कार्य विभागों में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं और उनकी भागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा, "संगठन से बाहर समाजसेवा में पुरुष और महिलाएं मिलकर काम करते हैं। कई बार नेतृत्व की भूमिका में महिलाएं होती हैं।"
उन्होंने एक रोचक किस्सा साझा किया और कहा, "जयपुर में मुझसे पूछा गया कि संघ में कितनी महिलाएं हैं? मैंने कहा, जितने स्वयंसेवक हैं, कम से कम उतनी महिलाएं भी हैं।"
इस अवसर पर, 'तन समर्पित, मन समर्पित' नामक पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। भागवत ने कहा, "यह किताब हर परिवार को खरीदनी चाहिए। यदि हम अपने साप्ताहिक पारिवारिक संवाद की शुरुआत रोज इस किताब के कुछ अंश पढ़कर करें, तो हमारे विचार, कार्य की शैली और जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तक न केवल सुंदर रूप से डिजाइन की गई है, बल्कि तकनीकी रूप से भी उत्कृष्ट है।