क्या मुख्यमंत्री धामी ने भराड़ीसैंण में चाय बनाकर लोगों को पिलाई और विकास योजनाओं पर फीडबैक लिया?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री धामी ने जनता के बीच जाकर चाय बनाई।
- स्थानीय विकास योजनाओं पर फीडबैक लिया।
- गैरसैंण में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है।
- उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 पारित हुआ।
- गैरसैंण एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।
भराड़ीसैंण, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अक्सर जनता के बीच घूमते, फिरते और मिलते हुए दिखाई देते हैं। इसका एक और उदाहरण गुरुवार को देखा गया, जब मुख्यमंत्री धामी ने भराड़ीसैंण में एक दुकान पर स्वयं चाय बनाने का कार्य किया। उन्होंने वहाँ उपस्थित लोगों को अपने हाथों से चाय भी पिलाई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। रास्ते में उन्हें चंद्र सिंह नेगी की चाय की दुकान मिली, जहां उन्होंने रुककर चाय बनाई। तस्वीरों में मुख्यमंत्री धामी को चाय बनाते और लोगों से मिलते हुए देखा गया।
उत्तराखंड सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मॉर्निंग वॉक के दौरान भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में चंद्र सिंह नेगी के प्रतिष्ठान पर स्वयं चाय बनाकर वहां मौजूद लोगों को दी।"
सीएम धामी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा है, "गुरुवार को सुबह भ्रमण के दौरान भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में चंद्र सिंह नेगी के प्रतिष्ठान पर चाय की चुस्कियों का आनंद लिया। इस दौरान उपस्थित स्थानीय जनता का कुशलक्षेम जाना और उनसे बात कर सरकार की ओर से संचालित विकासपरक और जनकल्याणकारी योजनाओं का फीडबैक भी लिया।"
उन्होंने आगे लिखा, "शुक्रवार को विधानसभा सत्र के समापन के बाद भराड़ीसैंण में रुक कर कुछ समय और स्थानीय जनजीवन से जुड़ने का अवसर मेरे लिए विशेष है। गैरसैंण सिर्फ हमारी ग्रीष्मकालीन राजधानी नहीं, बल्कि एक सुंदर, संभावनाओं से भरपूर पर्यटन स्थल भी है। यहां की मनमोहक वादियों, शुद्ध पर्वतीय हवा और शांत वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा का अनुभव होता है।"
गौरतलब है कि गैरसैंण में उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा ने एक महत्वपूर्ण बिल, "उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक- 2025" को पारित किया। इस विधेयक के लागू होने के बाद मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम और गैर-सरकारी अरबी व फारसी मदरसा मान्यता नियम 1 जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएंगे। अब सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को भी पारदर्शी मान्यता प्राप्त होगी।