क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देंगे माफिया मुख्तार से खाली कराई गई जमीन पर बने फ्लैट की चाबी?
                                सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया से खाली कराई गई जमीन पर ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स का निर्माण किया है।
 - इन फ्लैट्स की कुल संख्या 72 है और हर फ्लैट की कीमत 10.70 लाख रुपये है।
 - इस योजना से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आवास का लाभ मिलेगा।
 - यह योजना सरदार वल्लभ भाई पटेल आवासीय योजना के अंतर्गत आती है।
 - डालीबाग का स्थान काफी प्राइम है, जहाँ से प्रमुख स्थानों की दूरी कम है।
 
लखनऊ, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को हजरतगंज के पॉश इलाके डालीबाग में माफिया मुख्तार अंसारी से खाली कराई गई भूमि पर निर्मित ईडब्ल्यूएस फ्लैट की चाबी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लाभार्थियों को सौंपेंगे। सीएम योगी डीजीपी आवास के सामने एकता वन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों को यह चाबी प्रदान करेंगे।
ये फ्लैट सरदार वल्लभ भाई पटेल आवासीय योजना के अंतर्गत बनाए गए हैं। कुल 72 फ्लैट्स की लागत 10.70 लाख रुपये है और मंगलवार को लॉटरी प्रक्रिया पूरी हुई।
एलडीए के वीसी प्रथमेश कुमार ने जानकारी दी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर अभियान चलाकर माफिया द्वारा कब्जाई गई अवैध भूमि को मुक्त कराया गया है। इसी क्रम में डालीबाग में माफिया मुख्तार के कब्जे से अवैध भूमि को खाली किया गया। सीएम के निर्देश पर एलडीए ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स का निर्माण किया।
डालीबाग में 2,322 वर्गमीटर भूमि पर ये फ्लैट्स बनाए गए हैं। योजना में ग्राउंड प्लस थ्री स्ट्रक्चर के 3 ब्लॉक में 36.65 वर्गमीटर क्षेत्रफल के 72 फ्लैट्स शामिल हैं। यह स्थान 20 मीटर चौड़ी बंधा रोड पर स्थित है और बालू अड्डा, 1090 चौराहा, नरही, सिकन्दरबाग एवं हजरतगंज चौराहा से मात्र 5 से 10 मिनट की दूरी पर है।
इन ईडब्ल्यूएस भवनों की कीमत 10.70 लाख रुपये है। योजना में स्वच्छ जल और विद्युत आपूर्ति, सुरक्षा व्यवस्था और दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की गई है। बाहरी विकास कार्य जैसे सड़क और पार्क का निर्माण भी किया गया है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल आवासीय योजना के लिए 4 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 के बीच ऑनलाइन पंजीकरण खोला गया था। सोमवार को पंजीकरण की अवधि समाप्त होने तक लगभग 8000 लोगों ने पंजीकरण कराया।