क्या मुंबई में कबूतरों को दाना डालना बन रहा है अपराध?

सारांश
Key Takeaways
- कबूतरों को दाना डालना अब कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।
- बांद्रा पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
- अदालत के आदेश का उल्लंघन गंभीर अपराध माना जाता है।
- कबूतरों की अनियंत्रित आबादी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
- बीएमसी अधिकारियों ने इस पर कार्रवाई की है।
मुंबई, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई पुलिस ने बांद्रा क्षेत्र में कबूतरों को दाना डालने के आरोप में चार व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन आरोपियों में तीन पुरुष और एक महिला शामिल हैं। पुरुषों के नाम मेहताब अहमद शेख, निखिल हरिनाथ सरोज, और सलाम दुर्गेश कुमार हैं, जबकि महिला की पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। ये सभी लोग निजी कंपनियों में कार्यरत हैं।
बांद्रा पुलिस ने बताया कि यह घटना बांद्रा तालाब के निकट हुई। बीएमसी के अधिकारी निरीक्षण के दौरान वहां मौजूद थे और उन्होंने कुछ व्यक्तियों को कबूतरों को दाना डालते हुए देखा। अधिकारियों ने उन्हें रोका और बताया कि यह कार्य अदालत के आदेश का उल्लंघन है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद आरोपियों ने दाना डालना जारी रखा।
इसी बीच, एक महिला वहां पहुंची और उसने भी कबूतरों को दाना डालना शुरू कर दिया। बीएमसी अधिकारियों के समझाने पर भी वह नहीं मानी और अधिकारियों से बहस करने लगी। इसके बाद वह अपनी स्कूटी पर बैठकर वहां से चली गई।
पुलिस के अनुसार, बांद्रा पुलिस स्टेशन में चारों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 270, 271, 223, और 221 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
यह कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के हालिया आदेश के बाद की गई, जिसमें अदालत ने खुले में कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज किया जाए।
ज्ञात रहे कि अगस्त की शुरुआत में मुंबई पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों के लिए दाना डालने के लिए पहला मामला दर्ज किया था। यह मामला अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया था। कबूतरों को इस तरह से दाना खिलाना भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। कबूतरों की अनियंत्रित आबादी के मानव स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर दाना डालना अपराध की श्रेणी में आता है।