क्या मुंबई ट्रेन विस्फोट के आरोपियों को बरी करना गंभीर विषय है? : उज्ज्वल निकम

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क्या मुंबई ट्रेन विस्फोट के आरोपियों को बरी करना गंभीर विषय है? : उज्ज्वल निकम

सारांश

मुंबई ट्रेन बम विस्फोट के आरोपियों को बरी किए जाने पर वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने गंभीर चिंता जताई है। क्या हमारे न्यायिक प्रणाली में कोई दोष है? जानिए इस मामले में प्रमुख प्रतिक्रियाएं और सरकार की संभावित अपील के बारे में।

Key Takeaways

  • उज्ज्वल निकम ने बरी किए गए आरोपियों पर चिंता जताई है।
  • 2006 का विस्फोट एक गंभीर आतंकवादी कृत्य था।
  • उच्च न्यायालय ने सबूतों पर संदेह किया है।
  • सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रही है।
  • इस मामले ने न्याय की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।

मुंबई, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई ट्रेन बम विस्फोट के आरोपियों को बरी किए जाने पर वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? आज आरोपियों का बरी होना एक गंभीर मुद्दा है। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।

उन्होंने आगे कहा कि 2006 का हमला एक भयानक आतंकवादी कृत्य था। जिस प्रकार 12 मार्च, 1993 को आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था, उसी प्रकार 2006 के विस्फोट में भी आरडीएक्स का उपयोग किया गया था। साक्ष्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों को मुंबई सत्र न्यायालय द्वारा दिए गए कबूलनामे के आधार पर दोषी ठहराया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस साक्ष्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अदालत के फैसले का गहराई से अध्ययन करने के बाद इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में स्थगन याचिका दायर की जानी चाहिए।

उन्होंने आगे बताया कि बम विस्फोट में कई निर्दोष लोग मारे गए थे और आरोपी को इस तरह बरी कर दिया गया। मामले में साक्ष्यों पर अदालत का अविश्वास बेहद गंभीर है। सरकार को भी इस फैसले की समीक्षा करनी चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए। अगर मुंबई सत्र न्यायालय जिन साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाता है, वे उच्च न्यायालय में टिक नहीं पाते, तो इसमें किसकी गलती है? यदि कानून के विश्लेषण के दौरान कोई गलती हुई या मशीन ने गलत साक्ष्य एकत्र किए, तो यह गंभीर बात है। मुझे यकीन है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।

इस मामले पर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि आज मैंने 2006 के पीड़ितों के संबंध में महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल से मुलाकात की। कुछ पीड़ित मेरे साथ थे, अन्य नहीं आ सके, इसलिए मैंने उनकी भावनाओं को उन्हें बताया। चहल ने हमें बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लिया है।

वहीं, शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है और हम इसे स्वीकार नहीं करते। जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में विस्फोट हुए, जिसमें लगभग 180 मुंबईकरों की जान गई, तो यह निस्संदेह एक बड़ी साजिश का परिणाम था। किसी ने इस बम विस्फोट की योजना बनाई थी। हमारी जांच एजेंसियों ने लोगों को गिरफ्तार किया, उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए गए और निचली अदालत ने उन्हें मृत्युदंड सहित कई सजाएं भी सुनाईं। अगर अब उच्च न्यायालय कहता है कि उनमें से कोई भी जिम्मेदार नहीं है, तो सवाल उठता है कि उन ट्रेनों में विस्फोट किसने किए?

Point of View

वह न केवल न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा और न्याय के प्रति हमारे विश्वास को भी प्रभावित करता है। सभी पक्षों को न्याय का सामना करना चाहिए, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों में कोई भी दोषी न बचे।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या आरोपियों को बरी करने का फैसला सही है?
यह निर्णय न्यायालय पर आधारित है, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे गंभीरता से लेते हैं।
सरकार इस फैसले पर क्या कदम उठा सकती है?
सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकती है।