क्या नागपुर का जन औषधि केंद्र मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- सस्ती दवाएं मरीजों के लिए एक आशा की किरण हैं।
- यह योजना आर्थिक बोझ कम करने में मदद कर रही है।
- बेरोजगारी कम करने में भी सकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
- दवाओं की गुणवत्ता उच्च स्तर की है।
- लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रही है।
नागपुर, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र मरीजों के लिए एक सकारात्मक पहल के रूप में उभरा है। यहां हर दिन सैकड़ों मरीज आते हैं, और इसका मुख्य कारण है कि यहां जरूरी दवाएं बेहद कम दाम पर उपलब्ध हैं।
यह योजना न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में, बल्कि रोजगार के मोर्चे पर भी महत्वपूर्ण बदलाव ला रही है। नागपुर के इस जन औषधि केंद्र ने स्थानीय लोगों की जिंदगी में बड़ा परिवर्तन किया है। महंगी दवाओं की चिंता से परेशान लोग अब राहत महसूस कर रहे हैं। यहां पर लगभग हर आवश्यक दवा सस्ती दरों पर उपलब्ध है।
लाभार्थी आदित्य गद्देवार ने बताया कि जन औषधि केंद्र पर सस्ते दामों पर दवाएं मिलती हैं। इनकी गुणवत्ता भी उत्कृष्ट होती है। यह केंद्र गरीब और मध्यम वर्ग के लिए संजीवनी से कम नहीं है। यह सरकारी योजना न केवल आर्थिक बोझ को कम कर रही है, बल्कि मरीजों के जीवन को भी आसान बना रही है।
लाभार्थी रवि कल्लेवार ने बताया कि मैं करीब दो वर्षों से जन औषधि केंद्र से दवा ले रहा हूं। बाजार में मिलने वाली दवाओं की तुलना में यहां 40 प्रतिशत तक दाम कम होते हैं। हर दवा पर अलग रेट और मुनाफा होता है। सामान्य बाजार की कीमत की तुलना में यहां दवाएं 10 से 80 प्रतिशत तक कम कीमत पर मिलती हैं। गरीबों के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के संचालक राकेश राजेशराव समर्थ ने बताया कि इस केंद्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। जन औषधि परियोजना की जानकारी समाचार पत्र के माध्यम से मिली थी। इस केंद्र के संचालन से पहले मैं बेरोजगार था, अब मैं आर्थिक रूप से मजबूत हो गया हूं। मेरे साथ तीन लोगों का स्टाफ है, और सब कुछ अच्छा चल रहा है। यहां दवाएं बाजार में मिलने वाली कीमत से कम दरों पर मिलती हैं। एक हजार रुपये की दवा जन औषधि केंद्र पर करीब 300 रुपये में मिलती है।