क्या नासिक में 1954 से निरंतर हो रही गांधीनगर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कला और संस्कृति का अनूठा संगम है?

सारांश
Key Takeaways
- गांधीनगर में 1954 से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है।
- इस वर्ष पूजा का 72वां वर्ष मनाया जा रहा है।
- लगभग 1 लाख श्रद्धालु इस पूजा में भाग लेते हैं।
- प्रसाद और महाप्रसाद का वितरण किया जाता है।
- सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं।
गांधीनगर, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के नासिक में दुर्गा पंडालों में नवरात्रि का उल्लास देखने को मिल रहा है। इन पंडालों में कला, संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। नासिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति ने गांधीनगर में 1954 से अनवरत दुर्गा पूजा का आयोजन किया है। इस वर्ष इस पूजा का 72वां वर्ष मनाया जा रहा है। यह पूजा नासिक की सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित सार्वजनिक दुर्गा पूजा के रूप में जानी जाती है।
गांधीनगर में मां दुर्गा की विशाल मूर्तियां, भव्य सजावट और रोशनी से जगमगाते पंडाल बेहद आकर्षक लग रहे हैं। नासिक सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुजॉय गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए बताया कि 1954 में जब दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई थी, तो यह एक छोटे स्तर पर थी, लेकिन समय के साथ इसका विस्तार होता गया और अब यह एक भव्य उत्सव बन चुका है। भविष्य में भी इसके विस्तार की उम्मीद है।
उन्होंने आगे कहा कि इन चार दिनों में लगभग एक लाख श्रद्धालु इसका आनंद लेते हैं। यहां रोजाना प्रसाद और महाप्रसाद का वितरण होता है। साथ ही रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस पूजा का 72 साल का इतिहास इसे विशेष बनाता है।
सुजॉय गुप्ता ने बताया कि भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं, ताकि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो। हमारे समिति के सदस्य लगातार लोगों के संपर्क में रहते हैं ताकि किसी समस्या का त्वरित समाधान किया जा सके।
उन्होंने कहा कि बंगाली समाज में पूजा के अंतिम चार दिन संतमी, अष्टमी, नवमी और दशमी होते हैं, उसी प्रकार हमारे यहां भी चार दिन होते हैं। नासिक में जो भी बंगाली लोग हैं, वे बड़ी संख्या में इस पूजा में भाग लेते हैं, जिससे यह आयोजन और भी खास बन जाता है।