क्या नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं? ईडी का दावा - 2000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिश

सारांश
Key Takeaways
- नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय के गंभीर आरोप लगे हैं।
- कांग्रेस ने 2000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की साजिश का आरोप।
- सोनिया और राहुल गांधी का नियंत्रण यंग इंडिया पर है।
नई दिल्ली, २ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है। बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान, ईडी ने बताया कि कांग्रेस नेशनल हेराल्ड की लगभग २,००० करोड़ रुपये की संपत्ति को हड़पने का प्रयास कर रही थी।
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अपना बयान पेश किया। उन्होंने कहा, "नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर नियंत्रण पाने के लिए यंग इंडियन लिमिटेड बनाने की साजिश की गई थी, जिसमें कांग्रेस संसदीय पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी मुख्य हिस्सेदार हैं। इसका उद्देश्य पार्टी नेतृत्व को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाना था।"
एएसजी राजू ने यह भी बताया कि कांग्रेस के कई सीनियर नेता एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के साथ होने वाले "फर्जी लेनदेन" में संलग्न थे। ईडी के अनुसार, बड़े नेताओं के निर्देश पर कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से किराए का भुगतान किया था। इन लेन-देन के साथ फर्जी किराया रसीदें तैयार की गई थीं।
E.D. ने यह भी कहा कि साजिश थी कि यंग इंडिया के माध्यम से २,००० करोड़ की संपत्ति को कब्जे में लेकर ९० करोड़ का कर्ज लिया जाए।
ईडी ने यह भी बताया कि कांग्रेस कमेटी ने सार्वजनिक टेंडर निकाले बिना एजीएल की संपत्ति यंग इंडिया को ५० लाख रुपये में बेच दी, जबकि एजीएल की संपत्ति २,००० करोड़ की थी। यंग इंडिया के पास इसे चुकाने के लिए पैसे नहीं थे, जिसके बाद यह मामला कोलकाता में शेल कंपनियों तक पहुंच गया। एक करोड़ रुपए का लोन यंग इंडिया को दिया गया, जबकि इसकी बैलेंस शीट नकारात्मक थी।
एएसजी राजू ने कोर्ट को बताया कि ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि यंग इंडिया पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नियंत्रण था। दोनों ने मिलकर ७६ प्रतिशत शेयर अपने पास रखे थे। वास्तव में ये कंपनियां उनके नियंत्रण में थीं और इनके संचालन के लिए वे जिम्मेदार थे।