क्या है नीलकंठ पक्षी का महादेव से संबंध? जानें सावन में इसके दर्शन का महत्व

सारांश
Key Takeaways
- सावन मास में नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ है।
- भगवान शिव के साथ इसका गहरा संबंध है।
- इसका दर्शन सौभाग्य और शांति लाता है।
- पौराणिक कथाओं में इसका विशेष स्थान है।
- स्वप्न में देखना एक शुभ संकेत है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भगवान शिव को प्रिय सावन मास का आरंभ 11 जुलाई से होने जा रहा है। यह महीना शिव भक्ति का प्रतीक है। नीलकंठ पक्षी का भी महादेव से एक विशेष संबंध है। मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी नीलकंठेश्वर के शांत और शुभ रूप का प्रतीक माना जाता है। इस माह में नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत ही शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नीलकंठ पक्षी के दर्शन से भक्तों को सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत के आठवें अध्याय में बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए मंथन किया, तब हलाहल नामक विष निकला, जिसने सृष्टि को संकट में डाल दिया। तब भगवान शिव ने इस विष का पान किया और उसे अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा गया। इस विशेष स्वरूप को शितिकण्ठ और त्रिलोचन के नाम से भी जाना जाता है।
नीलकंठ पक्षी का नीला रंग और उसका शांत स्वभाव इसे भगवान शिव का प्रतीक बनाता है। खगोपनिषद् के ग्यारहवें अध्याय में इसे साक्षात् शिव का स्वरूप बताया गया है, जो शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है। मान्यता है कि सावन में इस पक्षी का दर्शन करने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। विशेषकर, उड़ते हुए नीलकंठ का दर्शन अक्षुण्ण फल प्रदान करता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर ही नीलकंठ हैं। इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। धर्मशास्त्र और स्वप्न शास्त्र में भी नीलकंठ पक्षी का विशेष महत्व है। स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में नीलकंठ का दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है, जो भाग्य के खुलने और सफलता का संकेत है। अविवाहित लोगों के लिए यह विशेष रूप से शुभ है, क्योंकि यह दर्शाता है कि उनकी शादी में आने वाली बाधाएं समाप्त होने वाली हैं और जल्द ही उन्हें जीवनसाथी मिल सकता है।