क्या नक्सलवाद एक सामाजिक समस्या है, और क्या इसका समाधान बंदूक के बल पर संभव है? : नीरज कुमार

सारांश
Key Takeaways
- नक्सलवाद
- बंदूक के बल पर इसका समाधान संभव नहीं है।
- बिहार को इस संदर्भ में रोल मॉडल माना गया है।
- पंचायती राज के माध्यम से आरक्षण से बदलाव संभव है।
- समाज में समावेशी विकास आवश्यक है।
पटना, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने नक्सलवाद को एक सामाजिक समस्या करार दिया। उन्होंने कहा कि बिहार इस संदर्भ में देश के लिए एक रोल मॉडल है। बंदूक के बल पर इसका समाधान संभव नहीं है।
नीरज कुमार ने नक्सलवाद को 'सामाजिक समस्या' बताते हुए राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "नक्सलवाद हमारी सामाजिक समस्या है और बंदूक के बल पर इसका समाधान नहीं हो सकता। बिहार इस मामले में देश का रोल मॉडल है। हमने पंचायती राज में पिछड़ा, अति पिछड़ा और महिलाओं को आरक्षण देकर नक्सलवाद के सामाजिक आंदोलन को पूरी तरह से ध्वस्त किया है।"
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने वरात्रि के पावन अवसर पर बिहार को सात नई ट्रेनों की सौगात मिलने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, "हम शान-ए-सौगात हैं और वो (विपक्ष) शान-ए-शर्म हैं।"
नीरज कुमार ने नक्सलवाद पर यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलियों को संदेश दिया था कि वे हथियार डाल दें, पुलिस गोली नहीं चलाएगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार के 'ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट' की सराहना की।
‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत' कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "हम किसी को नहीं मारना चाहते। हम पूरा प्रयास करते हैं कि नक्सली को सरेंडर या अरेस्ट करने का पूरा मौका दिया जाए, लेकिन जब नक्सलवादी हाथ में हथियार लेकर भारत के निर्दोष नागरिकों को मारने निकलते हैं तो सुरक्षाबलों के पास कोई और चारा नहीं होता और उन्हें गोली का जवाब गोली से ही देना होता है।"
शाह ने कहा, "वामपंथी क्षेत्र में सड़कें क्यों नहीं बन सकीं? क्योंकि नक्सलियों ने कॉन्ट्रैक्टर्स की हत्या कर दी।"
उन्होंने सवाल किया कि बड़े-बड़े लेख लिखकर सरकार को उपदेश देने वाले बुद्धिजीवी विक्टिम ट्राइबल के लिए लेख क्यों नहीं लिखते? उनकी संवेदना सिलेक्टिव क्यों है?