क्या नेपाल के हिंसक प्रदर्शनों से प्रवासी डर गए हैं? कमला गौतम बोलीं- हालात बेहद खराब

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में स्थिति गंभीर है।
- प्रवासी नेपाली चिंतित हैं।
- नेपाली सेना ने हस्तक्षेप किया है।
- भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट मुख्य कारण हैं।
- परिवार की सुरक्षा चिंता का विषय है।
मुंबई, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में जनरेशन जेड के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने पूरे देश की स्थिति को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट के खिलाफ छिड़े इस प्रदर्शन में कई लोगों ने अपनी जान खो दी है और कई अन्य घायल भी हुए हैं। नेपाल की स्थिति को लेकर महाराष्ट्र के नालासोपारा में रहने वाले नेपाली प्रवासियों ने गहरी चिंता व्यक्त की है।
नालासोपारा में एक नेपाली परिवार अपने देश की गंभीर स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है। परिवार की सदस्य कमला गौतम ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में नेपाल के हालात और अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।
कमला गौतम ने कहा, "मैं नालासोपारा में रहती हूं, लेकिन मेरा पूरा परिवार नेपाल में है। हाल ही में नेपाल के कई क्षेत्रों जैसे बेनी, काठमांडू और पोखरा घाटी में बहुत नुकसान हुआ है। माहौल बेहद खराब है। मम्मी-पापा और रिश्तेदारों के लगातार फोन आ रहे हैं। सभी डरे हुए हैं। मैं वहां जाना चाहती हूं, लेकिन परिस्थितियों के कारण नहीं जा सकती।"
कमला के अनुसार, नेपाल की वर्तमान स्थिति ने प्रवासी नेपाली समुदाय को भी चिंतित कर दिया है। वहां स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि नेपाल में जेन-जी के आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से लेकर कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। इसी बीच, देश की स्थिति को संभालने के लिए नेपाली सेना सामने आई है और जल्दी से जल्दी हालात को काबू करने का वादा किया है।
सेना ने जेन-जी का समर्थन किया है, लेकिन उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसे सैन्य तख्तापलट में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह जल्द से जल्द समाधान चाहती है ताकि कानून-व्यवस्था बहाल हो सके।
नेपाली सेना के पास फिलहाल इतनी शक्ति है कि वह राजनीतिक दलों को एक समझौते पर पहुंचने और अंतरिम प्रमुख के रूप में एक उपयुक्त उम्मीदवार खोजने के लिए मजबूर कर सके।