क्या सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार पर नेपाली कांग्रेस पार्टी भड़की है?

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल में जेन-जी के विरोध प्रदर्शन ने सरकार की कार्रवाई को जन्म दिया।
- नेपाली कांग्रेस ने बदले की राजनीति की चेतावनी दी है।
- सरकार की कार्रवाई मानवाधिकारों पर असर डाल सकती है।
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में जेन-जी के तीव्र विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप, अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत अन्य प्रमुख नेताओं पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। इस स्थिति में, नेपाली कांग्रेस पार्टी ने सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार को चेतावनी दी है।
नेपाली कांग्रेस ने कार्की सरकार को बदले की राजनीति न करने की चेतावनी दी है। दरअसल, नेपाली कांग्रेस पार्टी कार्यालय के मुख्य सचिव कृष्ण प्रसाद पौडेल ने एक बयान जारी कर सरकार को ऐसी गतिविधियों को लेकर आगाह किया। उन्होंने आरोप लगाया कि 8 और 9 सितंबर के विरोध प्रदर्शनों की जांच करने के बजाय, सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है।
नेपाली कांग्रेस ने जांच आयोग बनाने के नाम पर पासपोर्ट ब्लॉक करने और घरेलू यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के कदम की आलोचना की, इसे अन्यायपूर्ण बताया। पौडेल ने कहा, "घटना की जांच शुरू किए बिना ही, एक तथाकथित आयोग के बहाने राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूर्वाग्रह से ग्रसित और बदले की भावना से निशाना बनाया जा रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार गैरकानूनी और असंवैधानिक कार्रवाइयों में लिप्त है, जिसने आयोग को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सीधे कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह मानवाधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमजोर करती है। पासपोर्ट ब्लॉक करने और देश के भीतर स्वतंत्र आवाजाही को प्रतिबंधित करने का निर्णय स्पष्ट रूप से राजनीतिक प्रतिशोध को दर्शाता है।
गौरतलब है कि नेपाल की अंतरिम सरकार ने हाल ही में पूर्व पीएम केपी ओली समेत अन्य प्रमुख नेताओं के देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी। यह प्रतिबंध पूर्व गृह सचिव गोकर्णमणि दुवादी, राष्ट्रीय जांच विभाग के पूर्व प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छबी रिजाल पर लगाया गया है।
नेपाल में 8-9 सितंबर को हुए जेन-जी प्रोटेस्ट के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने यह निर्णय लिया। इस कमेटी के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज गौरी बहादुर कार्की हैं।