क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपराध और अपराधियों से समझौता नहीं करते हैं?: शाहनवाज हुसैन

सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार की सरकार अपराधियों से समझौता नहीं करती है।
- बिहार में सुशासन और कानून का राज है।
- विपक्ष के आरोपों का खंडन किया गया है।
- राजद और कांग्रेस पर बेबुनियाद आरोप लगाने का आरोप।
- महाराष्ट्र में भाषा के आधार पर प्रताड़ना का विरोध।
नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के मामले में विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तंज करते हुए कहा कि हर महीने बिहार में सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है। लेकिन, जंगलराज नहीं कह सकते हैं। तेजस्वी के इस तंज पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जिनकी सरकार में बिहार में जंगलराज था, उनके मुंह से यह बातें शोभा नहीं देती हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपराध और अपराधियों से समझौता नहीं करते हैं।
शाहनवाज हुसैन ने शनिवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। इस अपराध को अंजाम देने वाले अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सुशासन और कानून का राज है। अपराध और अपराधियों से कभी समझौता नहीं किया गया है। जल्द ही अपराधी पकड़ा जाएगा।
बिहार की कानून व्यवस्था पर विपक्ष के आरोपों पर भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने आगे कहा कि राजद, कांग्रेस के नेता और पप्पू यादव बेवजह नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। नीतीश सरकार में अपराध कम हुए हैं। जब भी कोई घटना होती है तो सख्त कार्रवाई की जाती है। सरकार ने ऐसे मामलों में कभी समझौता नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि जंगलराज उसे कहा जाता है, जहां सरकार और अपराधियों के बीच तालमेल हो। नीतीश कुमार की सरकार अपराध और अपराधियों से कोई समझौता नहीं करती है। पूरी ताकत के साथ अपराधियों का सामना करती है। हत्या के पीछे जो भी अपराधी है कार्रवाई की जाएगी। बिहार में नीतीश सरकार अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई करती है।
महाराष्ट्र में हिन्दी नहीं बोलने पर एक दुकानदार की पिटाई मामले में भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मराठी भाषा का दिल से सम्मान है। महाराष्ट्र में मराठी बोलनी चाहिए। लेकिन, इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए कि किसी को भाषा के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। कुछ लोग इस मामले में अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास कर रहे हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग महाराष्ट्र को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र की सरकार ने संज्ञान लिया है और किसी को भी इजाजत नहीं है कि वह कानून को अपने हाथ में ले।