क्या खराब मौसम के कारण नोएडा एयरपोर्ट पर कैलिब्रेशन फ्लाइट ट्रायल टला?
सारांश
Key Takeaways
- कैलिब्रेशन फ्लाइट ट्रायल की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।
- खराब मौसम के कारण ट्रायल स्थगित किया गया है।
- एरोड्रम लाइसेंस के लिए ट्रायल का सफल होना आवश्यक है।
- एयरपोर्ट का निर्माण तेजी से चल रहा है।
- यह एयरपोर्ट क्षेत्र की हवाई कनेक्टिविटी में सुधार करेगा।
ग्रेटर नोएडा, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) पर होने वाले कैलिब्रेशन फ्लाइट ट्रायल को खराब मौसम के कारण स्थगित कर दिया गया है। यह ट्रायल 30 और 31 अक्टूबर के लिए निर्धारित था, लेकिन मौसम की प्रतिकूलता के चलते इसे फिलहाल टाल दिया गया है। इस प्रक्रिया की निगरानी डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) द्वारा की जानी थी।
अधिकारियों के अनुसार, इस ट्रायल का उद्देश्य एयरपोर्ट के रनवे, नेविगेशन सिस्टम, कम्युनिकेशन सिस्टम और इंटीग्रेटेड लैंडिंग सिस्टम की सटीकता और कार्यक्षमता का मूल्यांकन करना था। डीजीसीए की विशेषज्ञ टीम के पर्यवेक्षण में रोजाना दो घंटे का ट्रायल आयोजित किया जाना था। यह प्रक्रिया एयरपोर्ट के संचालन से पहले की एक महत्वपूर्ण तकनीकी आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विमान सुरक्षित रूप से लैंडिंग और टेकऑफ कर सकें।
अधिकारियों ने बताया कि कैलिब्रेशन ट्रायल के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के बाद ही एयरपोर्ट को एरोड्रम लाइसेंस जारी किया जा सकता है। यह लाइसेंस डीजीसीए की मंजूरी से जारी होता है, और इसके बाद ही एयरपोर्ट पर कमर्शियल फ्लाइट ऑपरेशन शुरू करने की अनुमति मिलती है।
सूत्रों के अनुसार, हाल के दिनों में क्षेत्र में तेज हवाओं और कम दृश्यता के कारण डीजीसीए ने सुरक्षा कारणों से ट्रायल को टालने का निर्णय लिया। मौसम सामान्य होने पर नई तिथियों की घोषणा की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि मौसम विभाग से परामर्श के बाद अगली तारीख तय की जाएगी, ताकि यह प्रक्रिया बिना किसी व्यवधान के पूरी हो सके।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी ने जानकारी दी है कि जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, ट्रायल पुनः प्रारंभ किया जाएगा। एयरपोर्ट प्रबंधन का लक्ष्य है कि इस वर्ष के अंत तक सभी तकनीकी परीक्षण पूरे हो जाएं, ताकि अगले वर्ष की शुरुआत में यहाँ से वाणिज्यिक उड़ानें शुरू की जा सकें। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के तहत तेजी से किया जा रहा है। यह एयरपोर्ट उत्तर भारत के सबसे बड़े एविएशन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है और इसके आरंभ होने से दिल्ली-एनसीआर के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हवाई कनेक्टिविटी को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।