क्या नोएडा में ‘एसआईआर’ को लेकर पोस्टर वार चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप है?

सारांश
Key Takeaways
- पोस्टर वार ने नोएडा में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
- ‘एसआईआर’ पर चल रही बयानबाजी से चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावों के नजदीक ऐसे वार आम हैं।
- सिर्फ आरोप लगाना ही नहीं, बल्कि सच्चाई का पता लगाना भी जरूरी है।
नोएडा, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली से सटे नोएडा में वर्तमान में राजनीतिक गतिविधियां पोस्टर वार के कारण चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ‘एसआईआर’ के संदर्भ में चल रही बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच, शहर की दीवारें और प्रमुख चौराहे अब राजनीति का नया अखाड़ा बन गए हैं।
शनिवार को नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों में सुबह लोगों की नजर कुछ विवादास्पद पोस्टरों पर पड़ी। ये पोस्टर शहर के महत्वपूर्ण चौराहों, फिल्म सिटी एलिवेटेड रोड और सेक्टर-34 गिझौड़ के आसपास लगाए गए थे। इन पोस्टरों में ‘वोट चोरी’ की चर्चा की गई है। इनमें भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं।
हालांकि, इन पोस्टरों में किसी भी राजनीतिक दल का नाम या चिन्ह नहीं है। फिर भी, इन पोस्टरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, ये पोस्टर विपक्षी दलों द्वारा लगवाए गए हैं ताकि सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा सकें। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। अचानक लगे इन पोस्टरों ने प्रशासन को भी चौकस कर दिया है।
जिला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासन ने कहा है कि ऐसी गतिविधियां लोकतांत्रिक माहौल को प्रभावित कर सकती हैं और इसकी गहन जांच कराई जाएगी। साथ ही, दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावों के नजदीक आते ही इस तरह के पोस्टर वार सामान्य हो जाते हैं। यह विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जनता को प्रभावित करने का एक साधन बन चुका है। लेकिन, इस बार मामला सीधे चुनाव आयोग तक पहुंच गया है, जो कि बेहद गंभीर माना जा रहा है।