क्या नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डरों के खिलाफ उठाया सख्त कदम?

सारांश
Key Takeaways
- नोएडा प्राधिकरण ने तीन प्रमुख बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की है।
- बिल्डरों पर 353.41 करोड़ रुपये का बकाया है।
- कोविड-19 के दौरान भी बिल्डरों ने भुगतान नहीं किया।
- जिला प्रशासन को वसूली की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पत्र भेजा गया है।
- यह कदम घर खरीदारों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है।
नोएडा, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा प्राधिकरण ने रियल एस्टेट कंपनियों से बकाया राशि वसूलने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अथॉरिटी ने तीन प्रमुख बिल्डरों के खिलाफ जिला प्रशासन को रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी करते हुए बकाया वसूलने के लिए पत्र भेजा है।
इसमें सेक्टर-78 का महागुण रियल स्टेट और सेक्टर-77 व सेक्टर-120 का प्रतीक रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। इन तीनों परियोजनाओं पर मिलाकर कुल 353.41 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। जानकारी के अनुसार, सेक्टर-78 में जीएच-2 भूखंड महागुण रियल स्टेट प्राइवेट लिमिटेड को 18 अप्रैल 2010 को आवंटित किया गया था। 18 मई 2010 को पट्टा प्रलेख पर हस्ताक्षर कर कब्जा भी दे दिया गया, लेकिन बार-बार नोटिस देने के बावजूद बिल्डर ने देय राशि नहीं भरी।
कोविड-19 के दौरान शासनादेश दिनांक 21 दिसंबर 2023 के तहत 25 प्रतिशत धनराशि जमा करने का अवसर भी दिया गया था, फिर भी भुगतान नहीं हुआ। ऐसे में 31 अगस्त 2025 तक 116.96 करोड़ रुपये बकाया मानते हुए 4 सितंबर को जिला प्रशासन को भू-राजस्व की तरह वसूली करने का पत्र भेजा गया।
इसी प्रकार, सेक्टर-77 के जीएच-1 भूखंड पर प्रतीक रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को 31 मार्च 2010 को आवंटन दिया गया था। 26 मई 2010 को कब्जा भी सौंपा गया। नोटिस भेजने और कोविड-19 लाभ का अवसर देने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ। इस भूखंड पर 31 अगस्त 2025 तक 162.27 करोड़ रुपये बकाया हो गए। तीसरा मामला सेक्टर-120 के जीएच-1 भूखंड का है, जिसे 10 दिसंबर 2009 को प्रतीक रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम आवंटित किया गया था। 7 जनवरी 2010 को कब्जा देने के बाद से अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया। इस भूखंड पर 74.18 करोड़ रुपये की बकाया राशि है।
नोएडा अथॉरिटी ने स्पष्ट किया है कि समय-समय पर नोटिस और अवसर देने के बाद भी भुगतान न करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब इन तीन भूखंडों के खिलाफ जिला प्रशासन भू-राजस्व की तरह वसूली की प्रक्रिया शुरू करेगा। प्राधिकरण की यह पहल उन हजारों घर खरीदारों के लिए राहत की उम्मीद जगाती है, जो लंबे समय से बिल्डरों की मनमानी से त्रस्त हैं।