क्या नोएडा प्राधिकरण वायु गुणवत्ता को लेकर सख्त कदम उठा रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- सभी विभागों की भागीदारी आवश्यक है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार करें।
- खुले में कचरा जलाने पर रोक लगानी होगी।
- धूल नियंत्रण के उपाय अपनाने होंगे।
- जनता की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
नोएडा, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वायु गुणवत्ता के deteriorating स्थिति और गृह-4 के उचित पालन पर चर्चा करने के लिए नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. लोकेश एम. की अध्यक्षता में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में प्राधिकरण के सभी अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जिला प्रशासन के अपर जिलाधिकारी, महाप्रबंधक, उप महाप्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त, नोएडा क्षेत्र में स्थित प्रमुख आईटी कंपनियों, स्कूलों और यूनिवर्सिटीज के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
बैठक के दौरान, सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सभी विभागों, संस्थानों और नागरिकों को सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। स्कूलों, विश्वविद्यालयों और आईटी कंपनियों से ये अपेक्षित किया गया कि वे प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका निभाएं। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को एनसीआर में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बताते हुए, सीईओ ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए निर्देश दिए।
इसके अंतर्गत, परिवहन विभाग को पत्र भेजने, नोएडा क्षेत्र में ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने और प्राधिकरण के उपयोग में आने वाले वाहनों को क्रमशः ईवी या हाइब्रिड में परिवर्तित करने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही, जनस्वास्थ्य विभाग में बीएस-6 मानकों से कम वाहनों को अपग्रेड करने का आदेश दिया गया। शहर में ट्रैफिक जाम वाले स्थानों की पहचान कर सुधारात्मक कार्य करने, उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण की कड़ी निगरानी रखने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए।
खुले में कचरा जलाने और उद्यानिक मलबे में आग लगाने जैसी घटनाओं पर कड़ी नजर रखने और वैज्ञानिक तरीके से कचरा निस्तारण सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। इसके अलावा, डीजल जनरेटर (डीजी सेट) के न्यूनतम उपयोग, उन्हें ड्यूल फ्यूल मोड पर रेट्रोफिट करने, सभी मुख्य सड़कों पर मैकेनिकल रोड स्वीपिंग कराने और एनसीएपी के तहत प्राप्त धनराशि के समयबद्ध उपयोग के निर्देश दिए गए। हरित क्षेत्रों के विकास के लिए सड़कों के कच्चे हिस्सों में घास या टाइल लगाने, सी एंड डी वेस्ट का वैज्ञानिक निस्तारण और प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों में आरडब्ल्यूए व जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी सहमति बनी।
बैठक में उपस्थित संस्थानों से धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी के छिड़काव, फुटपाथ व सेंट्रल वर्ज को गोद लेने (एडॉप्ट करने), और ग्रेप-3 व ग्रेप-4 की अवधि में वर्क फ्रॉम होम तथा ऑनलाइन/हाइब्रिड मोड अपनाने की अपील की गई। सीईओ ने कहा कि इन समन्वित प्रयासों से ही नोएडा की वायु गुणवत्ता में सुधार संभव है।