क्या करीब 6,000 करोड़ रुपये का बकाया अब भी बिल्डर्स पर बाकी है? : नोएडा प्राधिकरण एसीईओ वंदना त्रिपाठी

सारांश
Key Takeaways
- बिल्डर्स पर 6,000 करोड़ रुपये का बकाया।
- 35 में से 57 बिल्डरों ने बकाया राशि जमा की।
- नोएडा प्राधिकरण ने अनसोल्ड इन्वेंट्री जब्त की।
- आर्थिक अपराध शाखा में शिकायतें दर्ज।
- 3216 होम बायर्स की रजिस्ट्री पूरी।
नोएडा, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमिताभ कांत की सिफारिशों के बाद, नोएडा प्राधिकरण में 57 में से केवल 35 बिल्डरों ने ही 25 प्रतिशत की बकाया राशि का भुगतान किया है। अभी भी 6,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि बाकी है। नोएडा प्राधिकरण को अब तक केवल 750 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। इसके चलते, प्राधिकरण लगातार बिल्डरों की अनसोल्ड इन्वेंट्री को जब्त करने की कार्रवाई कर रहा है।
नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने जानकारी दी है कि कड़ा रुख अपनाते हुए अब तक 750 करोड़ रुपये की राशि वसूल की जा चुकी है। लेकिन, 6,000 करोड़ रुपये का बकाया अब भी बिल्डर्स पर है, जिसमें से कई मामले एनसीएलटी और अन्य अदालतों में लंबित हैं। उन्होंने बताया कि जिन मामलों में प्राधिकरण ने सक्रियता दिखाई, उनमें से कुछ में प्राधिकरण के पक्ष में निर्णय आए हैं। यह न केवल प्राधिकरण के लिए राजस्व का स्रोत बना, बल्कि होम बायर्स की रजिस्ट्री में भी मदद मिली।
वंदना त्रिपाठी ने कहा कि अमिताभ कांत समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार 57 बिल्डर्स को बकाया भुगतान करना था, लेकिन अब तक केवल 35 बिल्डर्स ने 25 प्रतिशत राशि जमा की है। अन्य बिल्डर्स की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे बिल्डर्स के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने सख्त कदम उठाते हुए उनके बिना बिके हुए फ्लैट्स को सील कर दिया है ताकि भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने बताया कि जिन्होंने कोई राशि जमा नहीं की है, उनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई गई है और उनके विरुद्ध रिकवरी सर्टिफिकेट भी जारी किया गया है। प्राधिकरण लगातार प्रयास कर रहा है कि फ्लैट खरीदारों को राहत मिले और उन्हें समय पर रजिस्ट्री का लाभ मिल सके। अब तक नोएडा प्राधिकरण 3216 होम बायर्स की रजिस्ट्री कर चुका है। प्राधिकरण के मुताबिक, अदालत में चल रहे मामलों में सीधे हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, लेकिन सभी मामलों की पैरवी जोर-शोर से की जा रही है ताकि प्राधिकरण को बकाया राशि मिल सके और होम बायर्स को जल्दी से उनका हक मिल सके।