क्या नोखा विधानसभा सीट पर जदयू का खाता खुलेगा या राजद जीत की हैट्रिक लगाएगी? 11 नवंबर को मतदाता करेंगे फैसला
सारांश
Key Takeaways
- नोखा विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को मतदान होगा।
- राजद ने अनीता देवी पर भरोसा जताया है।
- जदयू का उम्मीदवार नागेंद्र चंद्रवंशी है।
- बिहार में चुनावी मुकाबला दिलचस्प है।
- नोखा की राजनीति का इतिहास भी महत्वपूर्ण है।
पटना, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के रोहतास जिले की नोखा विधानसभा सीट पर चुनाव की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। इस सीट पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा। यह विधानसभा सीट काराकाट लोकसभा के अंतर्गत आती है।
1951 में स्थापित नोखा विधानसभा सीट पर अब तक 17 चुनावों का आयोजन हो चुका है, जिसमें कांग्रेस ने 6 बार, भाजपा ने 4 बार, जनता पार्टी ने 3 बार, और जनता दल व राजद ने 2-2 बार जीत दर्ज की है।
1985 तक यहां कांग्रेस और जनता पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिला। 1952 से 1969 तक कांग्रेस ने लगातार चार बार जीत हासिल की। इसके बाद 1969 में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। हालांकि, 1972 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की। अगले दो चुनावों (1977, 1980) में जनता पार्टी ने फिर से विजय प्राप्त की।
कांग्रेस ने 1985 का चुनाव जीतकर अपने नाम किया, लेकिन यह पार्टी के लिए अंतिम जीत साबित हुई। इसके बाद से नोखा में कांग्रेस ने कभी वापसी नहीं की। अगले चुनाव (1990, 1995) जनता दल के नाम रहे।
2000 के दशक में भाजपा ने नोखा में अपनी स्थिति मजबूत की। उस वर्ष पार्टी को पहली बार जीत मिली और फिर 2010 तक लगातार चार चुनाव जीते। 2005 में दो बार चुनाव हुए और दोनों बार भाजपा विजयी रही।
2015 में राजद ने नोखा में अपना खाता खोला और 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट को बरकरार रखा। इस बार राजद के पास नोखा में जीत की हैट्रिक बनाने का सुनहरा अवसर है। हालांकि, भाजपा की जगह जदयू चुनाव मैदान में है, जिसने अभी तक नोखा में कोई जीत नहीं दर्ज की।
राजद ने मौजूदा विधायक अनीता देवी पर फिर से भरोसा जताया है। जदयू ने नागेंद्र चंद्रवंशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, जन सुराज पार्टी से नसरुल्लाह खान चुनावी मैदान में हैं, जिससे नोखा विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है।
नोखा विधानसभा क्षेत्र में विक्रमगंज, नासरीगंज और दाऊदनगर जैसे कस्बे हैं, जो यहां की जनता के लिए मुख्य बाजार हैं।
धार्मिक दृष्टि से, नोखा नगर में मां काली का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां की आस्था का मुख्य केंद्र तेंदुआ गांव में पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर से बनारस और गया के बीच की दूरी लगभग बराबर है। यहां मेला भी लगता है और दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैं।