क्या ओडिशा में पिछले 10 वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में 1,398 मौतें हुईं?

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क्या ओडिशा में पिछले 10 वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में 1,398 मौतें हुईं?

सारांश

ओडिशा में मानव-वन्यजीव संघर्ष ने पिछले दशक में 1,398 लोगों की जान ली है। वन मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने विधानसभा में यह जानकारी दी। जानिए इस संघर्ष का कारण और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में।

Key Takeaways

  • पिछले दस वर्षों में 1,398 लोगों की मृत्यु हुई।
  • राज्य ने मुआवजे के रूप में 6,174.68 लाख रुपए दिए।
  • ढेंकनाल वन प्रभाग में सबसे अधिक मौतें हुईं।
  • 5,609 जानवरों की भी मौत हुई।
  • सरकार ने कई सुरक्षा उपाय किए हैं।

भुवनेश्वर, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा में पिछले दस वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के चलते 1,398 व्यक्तियों की जान चली गई। राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंह खुंटिया ने मंगलवार को विधानसभा में यह जानकारी दी।

विधानसभा की कार्यवाही के दौरान भाजपा विधायक अखिल चंद्र नाइक द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में वन मंत्री ने बताया कि ढेंकनाल वन प्रभाग में पिछले दस सालों में सबसे अधिक 251 मौतें हुई हैं। क्योंझर और अंगुल वन प्रभागों में इस समयावधि में क्रमशः 125 और 119 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है।

वन मंत्री द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने पिछले एक दशक में मानव-पशु संघर्ष में जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों को 6,174.68 लाख रुपए का मुआवजा दिया है। इस समयावधि में विभाग ने ढेंकनाल वन प्रभाग में पीड़ितों के परिजनों को 1,014.20 लाख रुपए का मुआवजा दिया है।

इस दौरान, ओडिशा राज्य में विभिन्न कारणों से हाथियों, बाघों, तेंदुओं आदि सहित 5,609 जानवरों की भी मौत हुई है।

वन मंत्री ने सदन को बताया कि विभाग कई उपाय कर रहा है, जिनमें पशु आवासों में सुधार, पौधरोपण, चारागाह का निर्माण, शिकार विरोधी दस्तों की तैनाती तथा उन्नत प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता से पशु और शिकारियों की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाना शामिल है।

उन्होंने पिछले दस वर्षों में राज्य के विभिन्न वन प्रभागों और अभयारण्यों में की गई वन्यजीव गणनाओं का भी विवरण साझा किया। इस दौरान ओडिशा के जंगलों में 2,103 हाथी, 30 बाघ और 696 तेंदुए दर्ज किए गए। विभाग ने 2024-25 के दौरान रुशिकुल्या नदी के मुहाने और गहिरमाथा समुद्री वन्यजीव अभयारण्य में क्रमशः 9.04 लाख और 6.07 लाख ऑलिव रिडले कछुओं का दस्तावेजीकरण किया।

इसी प्रकार, 2024-25 में चिल्का लैगून और ओडिशा तट पर 159 इरावदी डॉल्फिन और 710 अन्य डॉल्फिन प्रजातियां दर्ज की गईं।

Point of View

बल्कि मानव जीवन को भी खतरे में डालता है। सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की आवश्यकता है, ताकि इस संघर्ष को कम किया जा सके और दोनों समुदायों के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।
NationPress
16/12/2025

Frequently Asked Questions

मानव-वन्यजीव संघर्ष क्या है?
मानव-वन्यजीव संघर्ष तब होता है जब मानव गतिविधियाँ वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों में हस्तक्षेप करती हैं, जिससे टकराव होता है।
ओडिशा में संघर्ष के कारण क्या हैं?
ओडिशा में वन्यजीवों का आवास नष्ट होना, मानव बस्तियों का विस्तार, और मवेशियों की चराई जैसे कारण संघर्ष को बढ़ाते हैं।
सरकार ने इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने मुआवजे, सुरक्षा उपाय और जन जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं।
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