क्या ओडिशा में उर्वरक की कमी पर बीजद ने सरकार को निशाने पर लिया?

सारांश
Key Takeaways
- उर्वरकों की कमी ने किसानों को गंभीर संकट में डाल दिया है।
- सरकार की लापरवाही के कारण स्थिति बिगड़ रही है।
- बीजद ने राज्य सरकार पर तीखा हमला किया है।
- किसानों को समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- भविष्य के लिए दीर्घकालिक उपाय करना अनिवार्य है।
भुवनेश्वर, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बीजू जनता दल (बीजद) ने ओडिशा में उर्वरकों की कमी को लेकर शुक्रवार को राज्य सरकार पर कड़ा हमला किया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि महत्वपूर्ण खेती के मौसम में सरकार किसानों के लिए उर्वरकों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने में पूर्ण रूप से विफल रही है।
प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजद ने प्रदेश में उर्वरक की कमी को लेकर राज्य सरकार को निशाना बनाया। बीजद नेताओं का कहना है कि उर्वरक की कमी से किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जो उनकी आजीविका और राज्य की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है।
बीजद नेता संजय दास बर्मा ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "राज्य के कई जिलों में किसान उर्वरकों की अनुपलब्धता से जूझ रहे हैं। बार-बार मांग उठाने के बावजूद सरकार और प्रशासन आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू करने में नाकाम रहे हैं। किसान घंटों लंबी कतारों में खड़े रहने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे हैं। यह संकट न केवल फसल उत्पादकता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रहा है।"
उन्होंने सरकार की 'लापरवाही' को इस स्थिति का प्रमुख कारण बताया और तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की।
दास बर्मा ने सरकार से उर्वरकों की पर्याप्त और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्य योजना लागू करने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने मांग की कि सरकार इस संकट के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करे और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए दीर्घकालिक उपाय करे।
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और उर्वरक आपूर्ति को जल्द से जल्द सामान्य करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है, लेकिन इसे जल्द हल कर लिया जाएगा। किसानों और विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच, यह देखना बाकी है कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए कितनी तेजी से कार्रवाई करती है।