क्या ओडिशा में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया? मुख्यमंत्री ने इतिहास से सीखने का आह्वान किया

सारांश
Key Takeaways
- विभाजन ने अपार पीड़ा दी, लेकिन एकता के पाठ भी सिखाए।
- इतिहास से सीखकर हम भविष्य में गलतियों से बच सकते हैं।
- नई पीढ़ी को अपने संस्कृति और विरासत की रक्षा करनी चाहिए।
भुवनेश्वर, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने जयदेव भवन में भारतीय इतिहास संकलन समिति द्वारा आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि विभाजन ने जहाँ अपार पीड़ा दी, वहीं इसने दृढ़ता और राष्ट्रीय एकता के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाए।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि विभाजन की सांप्रदायिक घृणा और हिंसा ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन भारतीय राष्ट्रवाद ने कभी हार नहीं मानी। विभाजन केवल एक भौगोलिक घटना नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी थी।
उन्होंने नई पीढ़ी से इतिहास को याद रखने और उससे सीखने की अपील की। माझी ने कहा कि इतिहास एक दर्पण है। इसमें झांककर और इससे सीखकर, हम भविष्य में होने वाली गलतियों से बच सकते हैं। विभाजन का दिन एक दुखद सत्य है। हमें इतिहास को भूलना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सबक लेना चाहिए। युवाओं को इतिहास की सच्चाई को समझना चाहिए और राष्ट्र की संप्रभुता, संस्कृति और एकता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत, जो अपनी प्राचीन और ऐतिहासिक परंपराओं में निहित है, देश की राष्ट्रीय पहचान और विचार का आधार है। उन्होंने कहा कि इस विरासत की रक्षा करना नई पीढ़ी का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानचित्र पर सीमाएं बदल सकती हैं, लेकिन हमारे दिलों की एकता को तोड़ा नहीं जा सकता है। भारतीयों ने हमेशा भाईचारे, प्रेम और सम्मान को सर्वोपरि रखा है, और कोई भी बाहरी ताकत हमें पराजित नहीं कर सकती है।
कार्यक्रम में वैदिक विश्वविद्यालय, तमिलनाडु के कुलपति प्रो. डॉ. हरिहर कानूनगो, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय जनसंपर्क प्रमुख कमलेश दास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रांत कार्यवाह (ओडिशा पूर्व) डॉ. अनिल कुमार मिश्र, भारतीय इतिहास संकलन समिति (ओडिशा पूर्व) के अध्यक्ष प्रो. बिक्रम केशरी महापात्रा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।