क्या ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से 10 मिनट पहले शर्तें लाना उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा महत्वपूर्ण है।
- विपक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।
- संसद की कार्यवाही का सम्मान करना चाहिए।
- राजनीतिक मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा आवश्यक है।
- संसद में सभी दलों का सहयोग जरूरी है।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में सोमवार को विपक्षी दलों ने एक बार फिर से जोरदार हंगामा किया। दोपहर 12 बजे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होने वाली थी, लेकिन विपक्ष ने संसद की कार्यवाही शुरू होते ही जोरदार नारेबाजी की और हंगामा किया, जिसके परिणामस्वरूप संसद की कार्यवाही को 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। वहीं ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होने से पहले ही लोकसभा के स्थगित होने पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने विपक्ष को कड़ी आलोचना का शिकार बनाया।
उन्होंने कहा कि आज सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष एक साथ ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करेंगे। इस मामले के लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया था, इसलिए अचानक चर्चा से 10 मिनट पहले शर्तें लाना उचित नहीं है। किरन रिजिजू ने विपक्ष से सवाल किया कि वे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से क्यों भाग रहे हैं?
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने मीडिया से बातचीत में कहा, "सदन में सभी तैयार थे, सभी दलों की सहमति थी कि आज ऑपरेशन सिंदूर पर 12:15 बजे चर्चा होगी, लेकिन 10 मिनट पहले विपक्षी दलों ने एक नया मुद्दा उठाया कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले सरकार एक लाइन ऑफ कमिटमेंट दे कि इसके बाद एसआई पर चर्चा होगी, संसद ऐसे नहीं चलती। सदन में एक-दूसरे की बात सुनकर और फिर बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक करके फैसले लिए जाते हैं। जब यह तय हो गया था कि आज सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष मिलकर ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करेंगे और 16 घंटे का समय दिया गया था, तो अचानक चर्चा से 10 मिनट पहले शर्तें लाना उचित नहीं है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां अब ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से भागने के लिए रास्ता खोज रही हैं, यह ठीक नहीं है।"
उन्होंने कहा, "हाल ही में विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से भागने का नाटक किया है, जो उचित नहीं है। जब संसद फिर से शुरू होगी तो जो शर्तें लेकर वे आए हैं, वे मान्य नहीं होंगी। (ऑपरेशन सिंदूर) पर रक्षा मंत्री प्रारंभ में प्रस्ताव रखेंगे और जब रक्षा मंत्री चर्चा आरंभ करें तो उनकी बात सुनें और विपक्षी दल पाकिस्तान की भाषा का प्रयोग न करें। हमारे सेना का मनोबल गिराने वाली बातें न करें।"