क्या पाकिस्तान 11 अरब डॉलर के आईएमएफ हिसाब की चुनौती का सामना कर पाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गंभीर है।
- आईएमएफ ने 11 अरब डॉलर का हिसाब मांगा है।
- पाकिस्तान अब चीन और अमेरिका से मदद मांग रहा है।
- पाकिस्तान का कुल विदेशी ऋण 135 अरब डॉलर के करीब है।
- आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का पड़ोसी पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के संकट में है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान से 11 अरब डॉलर का ब्योरा मांगा है। आईएमएफ से फटकार के बाद, पाकिस्तान अब चीन और अमेरिका सहित अन्य देशों के सामने हाथ फैला रहा है।
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान पहले वित्तीय सहायता और रक्षा उपकरणों के लिए चीन के संपर्क में था, जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने उसे ऋण और कुछ हथियार तथा गोला-बारूद प्राप्त करने में सहायता की है।
हालांकि, वर्तमान में पाकिस्तान की स्थिति ऐसी है कि वह रणनीतिक और सुरक्षा मामलों के लिए चीन के पास मदद मांग रहा है, जबकि आर्थिक और व्यापारिक सहायता के लिए अमेरिका की ओर देख रहा है।
रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान का कुल विदेशी ऋण 2025 की दूसरी तिमाही में लगभग 135 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। पाकिस्तान पर पहले से ही चीन का लगभग 30 अरब डॉलर का लोन बकाया है।
चीन ने पाकिस्तान को भारी मात्रा में लोन प्रदान किया है, जो बुनियादी ढांचे के विकास, बंदरगाहों, ऊर्जा और परिवहन परियोजनाओं के लिए है।
इसी बीच, अफगानिस्तान के खामा प्रेस ने शनिवार को बताया कि आईएमएफ ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में पाकिस्तान के व्यापार आंकड़ों में 11 अरब डॉलर के ब्योरे पर चिंता जताई है।
पाकिस्तान रेवेन्यू ऑटोमेशन लिमिटेड (पीआरएएल) द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में बताए गए आयात के आंकड़े पाकिस्तान सिंगल विंडो के आंकड़ों से 5.1 अरब डॉलर कम थे, और वित्त वर्ष 2024-25 में यह अंतर बढ़कर 5.7 अरब डॉलर हो गया।
अफगानिस्तान की न्यूज एजेंसी ने बताया कि पाकिस्तान ने आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसके कारण आईएमएफ ने निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए सुधारात्मक उपायों और स्पष्ट संचार रणनीति की मांग की है।