क्या दशकों की अनदेखी से जूझता है पाक-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान?
सारांश
Key Takeaways
- गिलगित-बाल्टिस्तान में बुनियादी सुविधाएं अत्यंत कम हैं।
- स्थानीय निकायों की कमी से विकास की गति धीमी हो गई है।
- अस्पतालों और डॉक्टरों की भारी कमी है।
- घिजर और गांचे में बाढ़ ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
- सरकार के प्रयासों के बावजूद स्थानीय लोग असंतोष में हैं।
इस्लामाबाद, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित गिलगित-बाल्टिस्तान में कई दशकों से चल रही उपेक्षा अब एक गंभीर नागरिक संकट का रूप ले चुकी है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह क्षेत्र पिछले 20 वर्षों से स्थानीय निकायों के बिना चल रहा है, जिससे विकास की गति अत्यंत धीमी हो गई है और सामान्य नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की अनदेखी के कारण इस क्षेत्र में पर्याप्त अस्पताल, कार्यरत लैब, जीवनरक्षक उपकरण और डॉक्टरों की कमी है। कई बार लोगों को इलाज के लिए 'डाउन कंट्री' अर्थात् दूर-दराज के शहरों में जाना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
कराची के आईबीए स्थित सेंटर फॉर बिजनेस एंड इकोनॉमिक रिसर्च के फेलो और असिस्टेंट प्रोफेसर साजिद अहमद ने पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन में लिखा कि कई क्षेत्रों में आज भी बिजली, साफ पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं कम हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सीमित बजट और चुनौतियों के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान में नए जिलों का गठन करना समझ से परे है।
रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां जनसंख्या 50,000 से कम है, लेकिन फिर भी वहां जिले बनाए गए हैं। इसने पहले से सीमित बजट पर और अधिक दबाव डाल दिया है। नतीजतन, विकास कार्यों की बजाय वेतन पर अधिक खर्च किया जा रहा है, जो कि संतुलन के विपरीत है।
इस वर्ष घिजर, गांचे, स्कार्दू समेत कई इलाकों में अभूतपूर्व बाढ़ आई, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग आजीविका से वंचित हो गए। पिछले पांच वर्षों में गिलगित-बाल्टिस्तान के शासन से जुड़े मुद्दों पर बड़े विरोध-प्रदर्शन और लंबे धरने भी देखे गए।
ये प्रदर्शन मुख्य रूप से गेहूं सब्सिडी समाप्त करने और कर लगाने के पाकिस्तान सरकार के प्रयासों के खिलाफ थे। नागरिक समाज, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने 2025 के गिलगित-बाल्टिस्तान भूमि सुधार अधिनियम की तीखी आलोचना की और अवामी एक्शन कमेटी के नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा की।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि संघीय करों के खिलाफ स्थानीय व्यापारियों और व्यवसायियों ने सोस्त ड्राई पोर्ट पर लगभग दो महीने का सबसे लंबा धरना दिया। इसके बाद सरकार ने स्थानीय खपत के लिए चार अरब रुपये तक के आयात को संघीय करों से छूट देने का फैसला लिया।
2025 में बढ़ते असंतोष के बीच पुलिसकर्मी भी देर से मिलने वाले भत्तों के विरोध में सड़कों पर उतरे। संवाद की बजाय प्रशासन की सख्त कार्रवाई ने तनाव को बढ़ा दिया। अगस्त के मध्य में महिला कांस्टेबलों समेत सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने क्षेत्रीय प्राधिकरण के आवास के बाहर रातभर धरना दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।