क्या पाकिस्तानी आवाम चीनी और रोटी की बढ़ती कीमतों से परेशान है?

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान में बाढ़ और संकट की स्थिति है।
- चीनी और रोटी की कीमतें बढ़ी हैं।
- तंदूर संचालकों ने रोटियों की कीमतें बढ़ाई हैं।
- जमाखोरी का प्रभाव बढ़ रहा है।
- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है।
कराची, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पड़ोसी देश पाकिस्तान बाढ़ के संकट से जूझ रहा है। यहाँ पर कई आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं और राजनीतिक मतभेदों के चलते सरकार जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। अब देश में रोटी की कमी हो रही है, जिसका उल्लेख पाकिस्तानी मीडिया ने किया है।
हाल ही में, चीनी की कीमतें बढ़ने से नागरिकों में चिंता बढ़ी है। पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को आटे और रोटी की बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि गेहूं और आटे की कीमतें निरंतर बढ़ रही हैं।
पाकिस्तानी दैनिक डॉन के अनुसार, कराची के तंदूर संचालकों ने विभिन्न प्रकार की रोटियों की कीमतों में लगभग 2 रुपये प्रति पीस की वृद्धि की है। यह मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग (विशेषकर दिहाड़ी मजदूरों) पर असर डालेगा, जो आमतौर पर स्थानीय भोजनालयों में भोजन करते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, ब्रांडेड आटे की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। कुछ मिल मालिकों ने 5 किलोग्राम के मैदे के बैग की कीमत 700 रुपये तक कर दी है, जो पहले 500 रुपये था।
कालाबाजारी अपने चरम पर है। खुदरा विक्रेताओं की रिपोर्ट है कि बड़े व्यापारी पुराने आटे के स्टॉक की बढ़ती मांग का फायदा उठाकर कीमतों में वृद्धि कर रहे हैं।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा गेहूं संकट का पंजाब और अन्य क्षेत्रों में हाल ही में आई बाढ़ से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि नई गेहूं की फसल मार्च/अप्रैल में काटी गई थी। हालाँकि, जमाखोरों ने स्थिति का लाभ उठाते हुए कीमतें बढ़ा दीं।
ऑल सिंध शीरमाल तंदूर रोटी एसोसिएशन के सदस्य सलमान मियां आराईन ने डॉन को बताया कि तंदूर संचालक, जो पहले नान (वजन 180 ग्राम) 22 और 23 रुपये प्रति पीस बेचते थे, अब उनकी कीमत 25 रुपये कर दी गई है। चपाती की कीमत भी 2 रुपये बढ़कर 14-15 रुपये हो गई है।
इसी बीच, चीनी की कीमतें भी बढ़ गई हैं। यह कीमतें 180 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। घी के टिन की कीमत भी हाल के महीनों में 6,500 रुपये से बढ़कर 7,900 रुपये हो गई है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हमेशा डगमगाती रही है। सियासतदां ऐशो आराम में डूबे रहते हैं, जबकि जनता खुद को समेटते हुए आगे बढ़ती है। इस देश की अर्थव्यवस्था कई वर्षों से बेलआउट पैकेज के सहारे चल रही है।
आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) के अनुसार, पाकिस्तान की जीडीपी 2.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी और अब इसका आकार लगभग 373.08 बिलियन डॉलर है। राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ती महंगाई और खराब विदेशी कर्ज हालात जैसे कारक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।