क्या परिवर्तिनी एकादशी से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होंगी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय

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क्या परिवर्तिनी एकादशी से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होंगी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय

सारांश

परिवर्तिनी एकादशी, जो इस साल 3 सितंबर को है, भगवान विष्णु के करकमलों से विवाह में आ रही बाधाओं को समाप्त करने का अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा से मिलते हैं विशेष फल। जानें इसके शुभ मुहूर्त और विशेष उपाय।

Key Takeaways

  • परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व है।
  • भगवान विष्णु की पूजा से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो सकती हैं।
  • इस दिन विधिपूर्वक उपाय करने से जीवन की अन्य समस्याओं का समाधान मिल सकता है।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन के साथ जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु जो चातुर्मास में योगनिद्रा में लीन रहते हैं, वे इस दिन करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से पुराने से पुराने संकट दूर हो सकते हैं। विवाह में आ रही रुकावटें भी इसी दिन समाप्त हो सकती हैं।

इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर होगा और यह तिथि अगले दिन 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। व्रत का पारण यानी समापन 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 7 मिनट के बीच किया जा सकता है।

खास बात यह है कि इस साल यह एकादशी तीन शुभ योगों आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग में पड़ रही है। इन शुभ संयोगों के कारण इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। आयुष्मान योग दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देता है, सौभाग्य योग घर-परिवार में सुख-शांति लाता है और रवि योग जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला माना जाता है।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ-सुथरे कपड़े पहनें और घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें पीले फूल, ऋतु फल, पंचामृत, तुलसी दल और पीले वस्त्र अर्पित करें। 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। पूरे दिन मन को शांत रखते हुए फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें और रात को भगवान के भजन-कीर्तन करें।

अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

इस एकादशी का संबंध विवाह में आ रही बाधाओं से है। कई बार जीवन में ऐसा होता है कि अच्छे रिश्ते बनने के बावजूद बात कहीं न कहीं अटक जाती है। कुंडली में गुरु या शुक्र ग्रह की स्थिति कमजोर होती है या किसी कारण से रिश्ता पक्का नहीं हो पाता।

ऐसी स्थिति में परिवर्तिनी एकादशी का व्रत वरदान समान माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद अगर किसी गरीब को पीले वस्त्र, चने की दाल और पीली मिठाई का दान किया जाए, तो विवाह में आ रही रुकावटें दूर होने लगती हैं। जिन युवाओं की शादी में बार-बार अड़चनें आती हैं, उन्हें यह उपाय विशेष रूप से करना चाहिए।

मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा से किए गए छोटे-छोटे उपाय भी बड़ा असर करते हैं।

परिवर्तिनी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें करके जीवन की अन्य समस्याओं से भी मुक्ति मिल सकती है। जैसे कि इस दिन तुलसी के पास घी का दीपक जलाना और उसकी 5 या 7 परिक्रमा करना घर में सुख-समृद्धि बढ़ाता है। भगवान विष्णु को पीला वस्त्र और पीले पुष्प चढ़ाना करियर में आ रही बाधाओं को दूर करता है। शाम को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाकर दीपक जलाने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और पितृ दोष का नाश होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और फल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और घर में शांति बनी रहती है।

Point of View

मैं मानता हूँ कि धार्मिक त्यौहारों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। परिवर्तिनी एकादशी जैसे पर्व केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। हमें इन पर्वों का सम्मान करना चाहिए और अपने जीवन में इन्हें अपनाना चाहिए।
NationPress
21/12/2025

Frequently Asked Questions

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व क्या है?
यह एकादशी भगवान विष्णु की पूजा का दिन है, जो विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में मदद करती है।
इस दिन क्या उपाय करना चाहिए?
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद गरीबों को पीले वस्त्र और चने की दाल का दान करना चाहिए।
परिवर्तिनी एकादशी कब है?
इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी 3 सितंबर को है।
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