क्या पार्थ पवार ने फर्जी पत्रों के प्रसारण पर पुणे ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई?
सारांश
Key Takeaways
- पार्थ पवार का जाली हस्ताक्षर वाला पत्र विवाद का कारण बना।
- उन्होंने ईओडब्ल्यू से जांच की मांग की है।
- यह मामला मुंढवा भूमि घोटाले से जुड़ा हुआ है।
- पार्थ ने सभी आरोपों को फर्जी
- राजनीतिक हलचल बढ़ने की संभावना।
पुणे, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अनजान व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। पार्थ ने पुणे शहर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के डीसीपी को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया है कि उनके जाली हस्ताक्षर वाले फर्जी दस्तावेज और पत्र प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं।
शिकायत में पार्थ पवार (उम्र 35 वर्ष, व्यवसायी, निवासी शिवाजीनगर, पुणे) ने बताया कि 16 दिसंबर को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके कथित हस्ताक्षर वाले पत्र प्रकाशित किए गए, जो सरकारी अधिकारियों को संबोधित थे। उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार किया कि उन्होंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किए या इसके बारे में कोई जानकारी है। पत्रों पर सरकारी विभागों की कोई प्राप्ति न होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे फर्जी करार दिया।
पार्थ ने यह भी आरोप लगाया कि असामाजिक तत्वों द्वारा यह शरारतपूर्ण कहानी फैलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें फंसाना और उनकी छवि को धूमिल करना है। उन्होंने ईओडब्ल्यू और साइबर क्राइम यूनिट से फर्जी पत्रों के स्रोत की जांच करने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी मामले का हवाला देते हुए उन्होंने एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया।
यह शिकायत मुंढवा भूमि घोटाले के संदर्भ में आई है, जहां मीडिया में ऐसे कथित पत्रों का जिक्र किया गया था जिनमें पार्थ पवार द्वारा मुंढवा की सर्वे नंबर 88 जमीन के नामांतरण को तेज करने की मांग की गई थी। पार्थ ने सभी ऐसे दावों को फर्जी बताया और कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला पहले से विवादास्पद मुंढवा भूमि सौदे से जुड़ा हुआ है, जिसमें पार्थ की कंपनी पर सरकारी जमीन सस्ते में खरीदने के आरोप लगे थे। हालाँकि, उस डील को रद्द कर दिया गया है। इस नई शिकायत से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है और जांच एजेंसियों पर निष्पक्ष कार्रवाई की निगाहें टिकी हुई हैं।