क्या पिराकाटा गांव में दुर्गा पूजा का उत्सव माओवादियों के गढ़ को बदल देगा?

Click to start listening
क्या पिराकाटा गांव में दुर्गा पूजा का उत्सव माओवादियों के गढ़ को बदल देगा?

सारांश

पश्चिम बंगाल के पिराकाटा गांव में दुर्गा पूजा का भव्य उत्सव मनाया जा रहा है। इस बार की थीम 'राष्ट्र की रक्षा करते वीर सैनिक' है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह माओवादी हिंसा के अंधकार से उबरने का प्रतीक भी है। आइए जानें इस उत्सव की खासियतें।

Key Takeaways

  • दुर्गा पूजा का आयोजन पिराकाटा गांव में हो रहा है।
  • थीम 'राष्ट्र की रक्षा करते वीर सैनिक' है।
  • पंडाल में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
  • यह आयोजन माओवादी हिंसा के अंधकार से उबरने का प्रतीक है।
  • पूजा में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।

पश्चिम मेदिनीपुर, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के सालबोनी ब्लॉक में स्थित पिराकाटा गांव, जो पहले माओवादी हिंसा का गढ़ हुआ करता था, अब एक भव्य दुर्गा पूजा उत्सव की तैयारी में लगा हुआ है। इस साल पिराकाटा बाजार दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित मुख्य पूजा की थीम 'राष्ट्र की रक्षा करते वीर सैनिक' है, जो कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भयानक आतंकवादी हमले और भारतीय सेना के जवाबी अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' को समर्पित है।

पिराकाटा जंगलमहल क्षेत्र का हिस्सा है, जो कभी माओवादी उग्रवाद का केंद्र था। 2009 में 'ऑपरेशन लालगढ़' के दौरान यहां सुरक्षा बलों को मानव दीवारों का सामना करना पड़ा था, और शाम होते ही गांव में सन्नाटा छा जाता था। स्थानीय निवासी गौतम दास ने कहा, "15 साल पहले माओवादी धमकियों के कारण दुर्गा पूजा लगभग बंद हो गई थी। घर से बाहर निकलना जोखिम भरा था। लेकिन सरकार के बदलने के बाद सुरक्षा में सुधार हुआ, और 2018 से पूजाओं की संख्या बढ़ी है। अब यहां दो प्रमुख पूजाएं आयोजित होती हैं।"

समिति ने शुक्रवार को रथ यात्रा के मौके पर 'खुटी पूजा' का आयोजन किया, जिसमें विधायक सुजॉय हाजरा भी शामिल हुए। लगभग 42 लाख रुपए के बजट से निर्मित पंडाल में आधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जाएगा। कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए हमले के हर क्षण को लाइटिंग और एनिमेशन के माध्यम से जीवंत किया जाएगा। राफेल और सुखोई लड़ाकू विमानों की उड़ान, एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का प्रदर्शन और आतंकी ठिकानों पर हमले के बारे में सभी जानकारी दर्शाई जाएगी।

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दृश्य भी सजावट का हिस्सा होंगे। ये महिला अधिकारी 'ऑपरेशन सिंदूर' की ब्रीफिंग की मुख्य पात्र रहीं हैं, जो महिलाओं की सेना में बढ़ती भूमिका का प्रतीक हैं।

समिति के सचिव और ग्राम पंचायत प्रमुख परिमल ढल ने बताया, "यह आयोजन युद्धोत्तर शांति का प्रतीक होगा। पंडाल एक शांतिपूर्ण वातावरण में बनेगा, जो राष्ट्रभक्ति और एकता का संदेश देगा।"

अध्यक्ष प्रबीर साव ने जानकारी दी कि मूर्ति को भी थीम के अनुरूप डिजाइन किया गया है, जिसमें दुर्गा की शक्ति को वीर सैनिकों के साथ जोड़ा गया है।

कोषाध्यक्ष गौतम दास ने बजट के बारे में बताया, "पंडाल, मूर्ति, पांच दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, अन्नकूट भोज, रक्तदान और वस्त्रदान अभियान सहित कुल खर्च 40-45 लाख रुपए है। यह ग्रामीणों, व्यापारियों और शुभचिंतकों के योगदान से संभव हुआ।"

पिछले वर्षों में यह पूजा जिले की सर्वश्रेष्ठ में मानी जाती है। 2018 में सालबोनी ब्लॉक की बेस्ट पूजा का खिताब जीता, और 2023-24 में 'विश्व बांग्ला शरद सम्मान' प्राप्त किया।

Point of View

बल्कि यह देश की सुरक्षा और एकता का प्रतीक भी है। माओवादी हिंसा के बुरे दिनों को पीछे छोड़ते हुए, गांव के लोग एकजुट होकर अपनी संस्कृति को संजोने की कोशिश कर रहे हैं। यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों के बावजूद हम आगे बढ़ सकते हैं।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

पिराकाटा गांव में दुर्गा पूजा कब मनाई जाती है?
पिराकाटा गांव में दुर्गा पूजा हर साल शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मनाई जाती है।
इस बार की दुर्गा पूजा की थीम क्या है?
इस बार की दुर्गा पूजा की थीम 'राष्ट्र की रक्षा करते वीर सैनिक' है।
पंडाल का बजट कितना है?
पंडाल का बजट लगभग 42 लाख रुपए है।
क्या इस दुर्गा पूजा में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है?
हाँ, इस दुर्गा पूजा में लाइटिंग और एनिमेशन के माध्यम से आधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया गया है।
पिराकाटा गांव का इतिहास क्या है?
पिराकाटा गांव एक समय माओवादी हिंसा का गढ़ था, लेकिन अब यह एक शांतिपूर्ण धार्मिक उत्सव का स्थल बन चुका है।