क्या पश्चिम बंगाल पोस्ट-पोल हिंसा मामले में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को उम्रकैद मिली?

सारांश
Key Takeaways
- उम्रकैद की सजा का निर्णय न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- पीड़िता को 3 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा।
- यह मामला चुनावोत्तर हिंसा के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- कोर्ट ने आरोपी पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।
- यह पहला मामला है जिसमें उम्रकैद की सजा दी गई है।
मालदा, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद की गई हिंसा से जुड़े एक अत्यंत संवेदनशील मामले में आज एक महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय लिया गया है। मालदा जिले की द्वितीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो कोर्ट) ने आरोपी रफीकुल इस्लाम उर्फ भेलू को 12 साल से कम उम्र की नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, कोर्ट ने आरोपी पर 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है。
यह मामला 2021 के पोस्ट-पोल हिंसा की घटनाओं की जांच के अंतर्गत आया था, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को कलकत्ता हाईकोर्ट के 19 अगस्त 2021 के आदेश पर सौंपा गया था। यह मामला थाना मानिकचक, जिला मालदा में दर्ज एफआईआर संख्या 201/2021 से संबंधित है, जो 5 जून 2021 को दर्ज की गई थी।
सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि आरोपी रफीकुल इस्लाम ने 4 जून 2021 की शाम को अपने आम के बागान में खेल रही लगभग 9 वर्षीय नाबालिग बच्ची को पैसे का लालच देकर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
इस घटना की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़िता की 10 वर्षीय चचेरी बहन, जो खुद भी नाबालिग है, ने यह सब देखा और वह इस मामले की प्रत्यक्षदर्शी बनी।
मामले की सुनवाई के दौरान दोनों बच्चियों ने कोर्ट में साहसिकता के साथ बयान दिया और आरोपी के खिलाफ मजबूत गवाही दी। इसी के आधार पर 2 जुलाई को कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराया और शुक्रवार को सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वह पीड़िता को ‘पीड़ित मुआवजा कोष’ से 3 लाख रुपए की राशि उपलब्ध कराए, ताकि उसका पुनर्वास संभव हो सके।
यह पहला मामला है, जिसमें पोस्ट-पोल हिंसा से जुड़े आरोपी को दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा दी गई है। यह निर्णय न केवल न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह यह भी संकेत देता है कि चुनावोत्तर हिंसा के मामलों में अब कानून सक्रिय रूप से काम कर रहा है।