क्या पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेताओं ने प्लॉट खरीदने पर उगाही की? एनएचआरसी ने लिया संज्ञान

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क्या पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेताओं ने प्लॉट खरीदने पर उगाही की? एनएचआरसी ने लिया संज्ञान

सारांश

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक परिवार ने टीएमसी नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब उन्होंने प्लॉट खरीदने पर उगाही से इनकार किया, तो उनकी 13 साल की बेटी पर दुष्कर्म की कोशिश की गई। यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आया है, जो इस पर कार्रवाई कर रहा है।

Key Takeaways

  • टीएमसी नेताओं पर गंभीर आरोप
  • पीड़ित परिवार ने उगाही से किया मना
  • 13 साल की बच्ची पर हुआ हमला
  • एनएचआरसी ने लिया संज्ञान
  • पुलिस जांच का आदेश

नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले से एक अत्यंत चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है। एक परिवार का कहना है कि हाल ही में उन्होंने जिस प्लॉट को खरीदा था, उसके लिए स्थानीय टीएमसी नेताओं ने उनसे प्रोटेक्शन मनी या टोल की मांग की। जब परिवार ने इस उगाही से मना कर दिया, तो उनकी 13 वर्ष की नाबालिग बेटी को निशाना बना गया। उस पर दुष्कर्म की कोशिश की गई और प्रयास विफल होने पर उसके ऊपर जानलेवा हमला किया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस घटना पर संज्ञान लिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी साझा की। प्रियंक कानूनगो ने लिखा, "मेरे पास शिकायत आई है कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक परिवार से कथित तौर पर स्थानीय टीएमसी नेताओं द्वारा उनके क्षेत्र में प्लॉट खरीदने पर 'प्रोटेक्शन मनी/टोल' मांगी गई। इंकार करने पर परिवार की 13 वर्षीय बच्ची से बलात्कार की कोशिश की गई और विफल होने पर उस पर प्राणघातक हमला किया गया, जिससे उसकी हालत गंभीर है। पीड़िता एक आर्मी ऑफिसर के परिवार से है। परिजनों ने टीएमसी विधायक समीर पांजा पर आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। हम मामले में कार्रवाई कर रहे हैं।"

मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में पुलिस कमिश्नर को भी एक विस्तृत पत्र भेजा है। आयोग ने कहा कि 9 दिसंबर की रात आरोपियों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बच्ची की मां को गालियां दीं, उन पर शारीरिक हमला किया और घर के बाहर ही बच्ची से फिर दुष्कर्म का प्रयास किया। इस दौरान बच्ची पर लोहे की रॉड से वार किया गया, जिससे उसके सिर और सीने पर गंभीर चोटें आईं और वह अब अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। परिजनों का दावा है कि यह पूरा घटनाक्रम केवल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने हाल ही में खरीदे गए प्लॉट पर उगाही देने से मना कर दिया था, जबकि पुलिस ने मामले में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। परिवार ने आयोग से हस्तक्षेप, आरोपियों की गिरफ्तारी और अपनी सुरक्षा की मांग की है।

आयोग ने आगे कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप प्रथमदृष्टया मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन प्रतीत होते हैं। प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में आयोग की पीठ ने मामले का संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया है कि हावड़ा पुलिस कमिश्नर शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच करवाएं और दो सप्ताह के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें। आयोग ने शिकायत की कॉपी रिपोर्ट के साथ संलग्न करने और उसकी एक प्रति आयोग के ईमेल पर भेजने के निर्देश भी दिए हैं।

Point of View

यह घटना न केवल स्थानीय राजनीति की गहराई को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जाए। सामाजिक सुरक्षा और न्याय की प्राप्ति हर नागरिक का अधिकार है।
NationPress
17/12/2025
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