क्या राहुल गांधी को नहीं, चुनाव आयोग को मांगनी पड़ेगी माफी: पवन बंसल?

सारांश
Key Takeaways
- वोट चोरी का मुद्दा गंभीर है।
- चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
- पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- सियासी विरोध मार्च महत्वपूर्ण हैं।
चंडीगढ़, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली में इंडिया गठबंधन के सांसदों ने सोमवार को संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित 'वोट चोरी' के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। इस मुद्दे पर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है।
कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा कि लोगों तक 'वोट चोरी' का मामला पहुंचाने के लिए ही यह विरोध मार्च निकाला गया। मार्च का उद्देश्य अपनी बात को आम जनता के समक्ष रखना था।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि राहुल गांधी नहीं, बल्कि कुछ समय बाद चुनाव आयोग को माफी मांगनी पड़ेगी। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता, यह बदलता है। आयोग द्वारा की जा रही कार्रवाई में 'वोट चोरी' का शब्द पूरी तरह से सार्थक है।
पवन बंसल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर दिए गए बयान पर कहा कि हमारे कहने से कभी कोई असर नहीं हुआ, लेकिन आरएसएस के मुखिया के कहने पर शायद कुछ फर्क पड़े। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था पर तंज कसते हुए कहा कि देश की तीसरी-चौथी अर्थव्यवस्था का आना तो निश्चित था, लेकिन क्या इसका लाभ गरीबों तक पहुंच रहा है?
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एपी सिंह ने बताया कि इंडियन एयरफोर्स ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को गिराया था। इस पर पवन बंसल ने भारतीय सेना की सराहना की और सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं सरकार ने एयर फोर्स चीफ पर अंकुश लगाया हुआ है कि उन्हें केवल इतना ही बोलना है। एपी सिंह को यह बताने में क्या कठिनाई है कि भारत के भी विमान गिराए गए हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि हमारा नुकसान नहीं हुआ है। पारदर्शिता की बात क्यों नहीं की जाती?