क्या पीके एंटरप्राइज घोटाले में ईडी ने छह आरोपियों के खिलाफ पीएमएलए कोर्ट में शिकायत की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने घोटाले में 6 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
- दिवंगत पूर्णेंदु दास के बेटे की संलिप्तता है।
- बैंक को 26.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
- जाली दस्तावेजों का उपयोग किया गया है।
- कई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया है।
कोलकाता, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में एक बड़े बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सख्त कदम उठाया है। ईडी ने 8 दिसंबर को प्रसेनजीत दास, पीके एंटरप्राइजेज के मालिक चंदन सरकार, लल्टू साहा और अन्य तीन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत विशेष पीएमएलए अदालत, कोलकाता में अभियोजन शिकायत दर्ज की है।
यह मामला दिवंगत पूर्णेंदु दास द्वारा अपनी फर्म मेसर्स केपीएस एंटरप्राइज के माध्यम से किए गए करोड़ों रुपए के बैंक घोटाले से संबंधित है, जिसमें उनके बेटे प्रसेनजीत दास और अन्य सहयोगियों की संलिप्तता उजागर हुई है।
ईडी ने इस घोटाले की जांच सीबीआई और बैंक सुरक्षा एवं धोखाधड़ी सेल (बीएसएंडएफसी), कोलकाता द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में यह सामने आया कि दिवंगत पूर्णेंदु दास ने बांग्लादेश को प्याज निर्यात करने के नाम पर तत्कालीन इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) से 8 करोड़ रुपए की पैकिंग क्रेडिट और 25 करोड़ रुपए की विदेशी बिल नेगोशिएशन सुविधा प्राप्त की। हालांकि, उन्होंने निर्यात से जुड़े जाली दस्तावेज और फर्जी बिल प्रस्तुत किए, जिसके कारण बैंक को कुल 26.72 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ।
जांच में यह भी पता चला कि बांग्लादेश के विभिन्न बैंकों में खोले गए लेटर ऑफ क्रेडिट के तहत जारी किए गए 25 करोड़ रुपए के बिलों को इलाहाबाद बैंक ने नेगोशिएट किया था, लेकिन समय सीमा बीतने के बावजूद उनके भुगतान नहीं किए गए। जब बैंक ने भुगतान की मांग की तो बांग्लादेशी बैंकों ने यह कहते हुए भुगतान से इनकार कर दिया कि उन्हें कोई निर्यात माल प्राप्त नहीं हुआ।
ईडी ने पाया कि लोन की पूरी राशि दिवंगत पूर्णेंदु दास ने अपने बेटे की फर्म मेसर्स पीके एंटरप्राइज और अपने व्यक्तिगत बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी थी। इसके अतिरिक्त, कथित सप्लायरों के नाम पर 70 बेयरर चेक जारी किए गए और अपनी कंपनी के कर्मचारियों की मदद से इन चेकों के माध्यम से बड़ी मात्रा में नकदी निकाली गई। इस प्रकार फर्जी बिलिंग और नगद निकासी के जरिए करोड़ों रुपये का गबन किया गया।
इस मामले में इससे पहले ईडी ने 34.42 लाख रुपये मूल्य की पांच अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया था। एजेंसी का कहना है कि धन शोधन और बैंक धोखाधड़ी का यह पूरा नेटवर्क बेहद व्यवस्थित तरीके से संचालित किया गया है, जिसमें कई व्यक्तियों और फर्जी कंपनियों का उपयोग किया गया।