क्या पीएम मोदी 12 सितंबर को 'ज्ञान भारतम्' अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होंगे और 'ज्ञान भारतम् पोर्टल' का शुभारंभ करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ
- पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया
- वैश्विक ज्ञान संवाद को बढ़ावा देना
- विशेष प्रदर्शनी में दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रदर्शन
- संरक्षण और प्रौद्योगिकी से जुड़े विषयों पर चर्चा
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 सितंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 'ज्ञान भारतम्' अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत की अमूल्य पांडुलिपि धरोहर को पुनर्जीवित करना और इसे वैश्विक ज्ञान संवाद का केंद्र बनाना है।
इस अवसर पर, पीएम मोदी 'ज्ञान भारतम् पोर्टल' का शुभारंभ करेंगे, जो पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा।
सम्मेलन 11 सितंबर से शुरू होकर 13 सितंबर तक चलेगा, जिसका मुख्य विषय है "पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत के ज्ञान धरोहर को पुनः प्राप्त करना।"
इस सम्मेलन में देश-विदेश के प्रमुख विद्वान, संरक्षणकर्मी, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और नीति विशेषज्ञ एकत्र होंगे। वे भारत की अद्वितीय पांडुलिपि धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए चर्चा करेंगे और इसे वैश्विक ज्ञान संवाद में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने के लिए विचार-विमर्श करेंगे।
सम्मेलन के दौरान एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें दुर्लभ पांडुलिपियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा, पांडुलिपि संरक्षण, डिजिटलीकरण प्रौद्योगिकियां, मेटाडेटा मानक, कानूनी ढांचे, सांस्कृतिक कूटनीति, और प्राचीन लिपियों का लेखन विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विद्वानों द्वारा प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी।
इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के प्राचीन ज्ञान और संस्कृति को पुनः जागृत करना है। पांडुलिपियां हमारे ऐतिहासिक ज्ञान, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और दर्शन का अमूल्य स्रोत हैं, जिन्हें सुरक्षित रखने और उन्हें डिजिटल रूप में दुनिया भर में उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से, पांडुलिपियों को डिजिटलीकरण के जरिये संरक्षित किया जाएगा, जिससे उन्हें कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा और उनकी जानकारी दुनिया भर में साझा हो सकेगी।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के दौरान, सरकार के इस कदम को लेकर संस्कृति, तकनीकी विकास और शोध जगत में एक नई दिशा दिखने की उम्मीद जताई जा रही है।