क्या पीएम मोदी के कट्टा बयान पर महागठबंधन भड़का?
सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी ने बिहार में कट्टा सरकार की बात की।
- महागठबंधन ने विकास की बात की आवश्यकता जताई।
- बिहार के युवा एनडीए की ओर बढ़ रहे हैं।
- राजद और कांग्रेस ने एनडीए के बयानों की आलोचना की।
- बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है।
पटना, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सीतामढ़ी में महागठबंधन को लक्ष्य बनाया। पीएम ने कहा कि बिहार को कट्टा सरकार नहीं, बल्कि एनडीए सरकार चाहिए। इसके जवाब में महागठबंधन के डिप्टी सीएम पद के उम्मीदवार मुकेश सहनी ने कहा कि वे कट्टा की बात करते हैं, लेकिन हम कलम की बात करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने सीतामढ़ी में एक चुनावी सभा में कहा, "हम आज जो माहौल देख रहे हैं वो दिल को छूने वाला है। यह संदेश दे रहा है कि बिहार को कट्टा सरकार नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें विकास करने वाली एनडीए सरकार चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि पहले चरण के मतदान में बिहार ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। जंगलराज वालों को 65 वोल्ट का झटका लगा है। बिहार के युवा विकास को चुन रहे हैं और एनडीए की तरफ बढ़ रहे हैं। बिहार की बहनों-बेटियों ने भी एनडीए की रिकॉर्ड जीत को सुनिश्चित किया है। पीएम ने कहा कि अब बिहार का बच्चा रंगदार नहीं, बल्कि इंजीनियर, डॉक्टर, एडवोकेट और अदालत में जज बनेगा।
सीतामढ़ी में पीएम मोदी की चुनावी सभा पर मुकेश सहनी ने कहा, "कट्टा और गोली की बात करने से हमारे बच्चों पर क्या असर पड़ेगा? हमें इस राज्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें बंदूक की बात नहीं करनी चाहिए, बल्कि विकास की बात करनी चाहिए।"
राजद सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि एनडीए के नेता हार की हताशा में हैं। उनके बयानों में भाषा का स्तर गिरता जा रहा है। नए विश्वविद्यालय या अस्पताल की बात नहीं हो रही है, और न ही रोजगार सृजन पर कोई चर्चा हो रही है। केवल कट्टा की बात हो रही है।
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने कहा कि चुनाव में एनडीए की भाषा बिहार के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाती है। बिहार में कट्टा बयान देने से कुछ भी नहीं होगा। बिहार की जनता के पास बदलाव का अवसर है। हमें उम्मीद है कि जनता बदलाव लाएगी।