क्या पीएम मोदी ने मां के निधन के बाद 17 पन्नों की चिट्ठी लिखी? मनोज मुंतशिर ने साझा किया अनुभव

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क्या पीएम मोदी ने मां के निधन के बाद 17 पन्नों की चिट्ठी लिखी? मनोज मुंतशिर ने साझा किया अनुभव

सारांश

मनोज मुंतशिर शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी मां हीराबेन के लिए लिखी एक भावनात्मक चिट्ठी का अनुभव साझा किया है। यह चिट्ठी 17 पन्नों की है और इसे पढ़ने में उन्हें कई बार रोना आया। जानिए इस दिल को छूने वाली कहानी के बारे में।

Key Takeaways

  • मनोज मुंतशिर ने पीएम मोदी की चिट्ठी को पढ़ते समय अपनी भावनाएं साझा कीं।
  • चिट्ठी में प्यार और यादें भरी हुई हैं।
  • चिट्ठी का अनुभव हर बेटे के लिए प्रेरणादायक है।
  • हीराबेन ने पीएम मोदी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इस चिट्ठी को वेबसाइट पर रिलीज किया गया था।

नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध कवि और गीतकार मनोज मुंतशिर शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी मां के लिए लिखी गई चिट्ठी के भावनात्मक अनुभव को साझा किया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपनी मां हीराबेन के निधन के बाद एक 17 पन्नों की चिट्ठी लिखी थी, जिसे पढ़कर मैं अपने आंसू नहीं रोक सका।

मनोज मुंतशिर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया है। उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां हीराबेन के निधन के बाद 17 पन्नों का एक पत्र लिखा था। हर पंक्ति में प्यार, कृतज्ञता और यादें थीं। मुझे इसे अपनी आवाज में रिकॉर्ड करने का मौका मिला। रिकॉर्डिंग के दौरान मैं अपने आंसुओं को रोक नहीं पाया। उस पत्र से पता चला कि हीराबा सिर्फ नरेंद्र मोदी की मां ही नहीं, बल्कि उनकी मार्गदर्शक, उनकी ताकत और जीवन की पहली शिक्षक थीं। मैंने सोचा था कि रिकॉर्डिंग में कुछ मिनट लगेंगे, लेकिन यह काफी लंबा खिंच गया। हर दो पंक्तियों के बाद रुकना पड़ता था। भावनाएं इतनी गहरी थीं कि मेरा गला रुंध जाता था। मां-बेटे के इस पवित्र रिश्ते का अपमान करना बहुत दुखद है।"

इस वीडियो में वह पीएम मोदी के अपनी मां के लिए लिखी चिट्ठी के बारे में बताते दिख रहे हैं।

मनोज बताते हैं कि हीराबेन के देहांत के बाद हमने देखा है कि अगर किसी की मां इस दुनिया से चली जाए तो इससे बड़ा नुकसान कुछ नहीं हो सकता है। दुनिया में हर चीज की भरपाई है, लेकिन इसकी कोई भरपाई नहीं। पीएम मोदी भी कोई अपवाद नहीं हैं। जैसे कोई बेटा पूरी तरीके से टूट जाता है, उसी तरह से प्रधानमंत्री भी टूटे, मगर उनके टूटने की सीमाएं हैं और उनके कंधे पर बहुत जिम्मेदारियां भी आईं। मुझे लगता है कि वह इतना टूटना बर्दाश्त नहीं कर सकते।

मनोज उस चिट्ठी का जिक्र भी करते हैं, जो पीएम मोदी ने अपनी मां के निधन के बाद लिखी थी। मनोज ने बताया, "मुझे याद है कि उनकी माताजी के देहांत के बाद किसी का फोन आया था और यह कहा गया कि एक चिट्ठी है, जो पीएम मोदी ने अपनी मां के लिए लिखी है। वह (प्रधानमंत्री) चाहते हैं कि मैं इसे अपनी आवाज में रिकॉर्ड करके भेजूं। मैंने इसके लिए हां कर दी, जब चिट्ठी मेरे पास आई तो इसकी रिकॉर्डिंग से पहले मेरे मन में यह था कि उन्होंने व्यक्तिगत भावनाएं लिखी होंगी, लेकिन उस 17 पन्ने की चिट्ठी को पढ़ते समय मैं करीब 10 बार रोया। करीब 10 बार मेरा गला भर आया और आधे-आधे घंटे के लिए हमें अपनी रिकॉर्डिंग को होल्ड करना पड़ा, क्योंकि ये चिट्ठी इतनी भावनात्मक, मार्मिक और करुणा से भरी हुई थी, मैं इसकी लाइनों को जब-जब पढ़ रहा था तो मेरे गला भर आ रहा था।"

उन्होंने कहा, "हीराबेन मेरी मां नहीं थीं, लेकिन जितनी देर में मैं उस चिट्ठी को रिकॉर्ड कर रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैंने अपनी मां खो दी है। उस चिट्ठी को बाद में एक वेबसाइट पर रिलीज भी किया गया था।"

Point of View

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के निधन के बाद लिखी गई चिट्ठी के बारे में मनोज मुंतशिर का भावनात्मक अनुभव हमें यह दर्शाता है कि मां का स्थान हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण होता है। यह अनुभव न केवल पीएम मोदी के लिए बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हम अपनी माताओं का सम्मान और प्यार हमेशा करें।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या पीएम मोदी ने अपनी मां के लिए सच में चिट्ठी लिखी थी?
जी हां, पीएम मोदी ने अपनी मां हीराबेन के निधन के बाद एक 17 पन्नों की चिट्ठी लिखी थी।
मनोज मुंतशिर ने इस चिट्ठी के बारे में क्या कहा?
मनोज मुंतशिर ने बताया कि चिट्ठी पढ़ते समय उन्हें कई बार रोना आया और यह चिट्ठी बेहद भावनात्मक थी।
क्या इस चिट्ठी को किसी वेबसाइट पर रिलीज किया गया था?
हाँ, इस चिट्ठी को बाद में एक वेबसाइट पर रिलीज किया गया था।
हीराबेन का पीएम मोदी के जीवन में क्या स्थान था?
हीराबेन न केवल पीएम मोदी की मां थीं, बल्कि उनकी मार्गदर्शक और जीवन की पहली शिक्षक भी थीं।
मनोज मुंतशिर का अनुभव इस चिट्ठी से क्या है?
मनोज ने अनुभव साझा किया कि चिट्ठी पढ़ते समय उन्हें अपनी मां की याद आई और वे भावुक हो गए।