क्या प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना ने आदिवासियों को आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाई?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना ने आदिवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त किया है।
- आदिवासी उत्पादों का मूल्य संवर्धन उनकी आय में वृद्धि कर रहा है।
- महिलाओं को इस योजना के तहत विशेष अवसर मिल रहे हैं।
- 2,021 वन धन विकास केंद्रों ने रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं।
- यह योजना आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही है।
छिंदवाड़ा, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना ने आदिवासी समुदायों को सशक्त करने और उनकी आजीविका को सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के माध्यम से, आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनने और अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिल रहा है।
मध्य प्रदेश में इस योजना का प्रभावी कार्यान्वयन राज्य वन विभाग द्वारा किया जा रहा है, जो आदिवासी समुदायों के लिए आर्थिक और सामाजिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। राज्य में 2,021 वन धन विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो आदिवासियों को प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं। ये केंद्र आदिवासी महुआ, साल के बीज, हल्दी, मेथी, और तेंदू के पत्तों जैसे वन उत्पादों का मूल्य संवर्धन करते हैं।
इन उत्पादों को पैकेजिंग और ब्रांडिंग के बाद भोपाल, दिल्ली जैसे बड़े बाजारों में बेचा जाता है। इससे न केवल आदिवासियों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का भी अवसर मिला है।
वन धन योजना ने मध्य प्रदेश के आदिवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के माध्यम से, आदिवासी अब पहले से अधिक आय अर्जित कर रहे हैं। पहले जहां वे वन उपज को कच्चे रूप में कम कीमत पर बेचने को मजबूर थे, वहीं अब मूल्य संवर्धन के बाद वे बेहतर कीमत प्राप्त कर रहे हैं। यह योजना आदिवासियों को केवल वनों पर निर्भर रहने से मुक्त कर रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिरता बढ़ रही है।
वन धन विकास केंद्रों ने राज्य में रोजगार के नए अवसर भी सृजित किए हैं। इन केंद्रों पर स्थापित लघु उद्योगों में सैकड़ों आदिवासियों को रोजगार मिल रहा है। इस योजना ने विशेष रूप से महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया है। कई आदिवासी महिलाएं अब इन केंद्रों में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं और अपनी आय से परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही हैं।
छिंदवाड़ा जिले के एक लाभार्थी दुरुक्सा कोड़पा ने बताया, “इस योजना से हमें बहुत लाभ हुआ है। हम शहद और आंवला पाउडर की पैकेजिंग करते हैं। हमारे केंद्र में 283 लोग हैं, जिनमें से 40-45 लोग नियमित काम करते हैं। हमारे उत्पाद भोपाल और दिल्ली तक पहुंचते हैं। मैं 2021 से यहां काम कर रहा हूं और मेहनत का उचित पारिश्रमिक मिलता है।”
प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि सामाजिक समावेशन और आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार कर रही है।