क्या प्रशांत किशोर ने ठाकरे बंधुओं पर भाषा विवाद को लेकर हमला किया?

सारांश
Key Takeaways
- भाषा विवाद का राजनीतिक कारण: बीएमसी चुनाव
- प्रशांत किशोर का जन सुराज पर ध्यान
- राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी पर सवाल
- मतदाता पुनरीक्षण का मुद्दा
- जन सुराज से संपर्क करने की अपील
पूर्णिया, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर अपनी 'बिहार बदलाव यात्रा' के अंतर्गत विभिन्न जिलों और प्रखंडों में लोगों से संवाद कर रहे हैं। इसी यात्रा के दौरान वे बुधवार को पूर्णिया पहुंचे।
प्रशांत किशोर ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बिहार में संपूर्ण क्रांति और व्यवस्था परिवर्तन के लक्ष्य के साथ 20 मई को जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा से 'बिहार बदलाव यात्रा' की शुरुआत की गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य बिहार की जनता को व्यवस्था परिवर्तन के प्रति जागरूक करना है।
महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद पर बात करते हुए उन्होंने ठाकरे बंधुओं पर आरोप लगाया कि यह विवाद केवल बीएमसी चुनाव से जुड़ा है। ये भाई लोकल बॉडी चुनाव में अपनी शक्ति प्रदर्शित करना चाहते हैं, इसीलिए मराठी भाषा को लेकर विवाद खड़ा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा और कांग्रेस की भी बड़ी जिम्मेदारी है, जो हमेशा इन दोनों भाइयों के साथ मिलकर सरकार चलाते रहे हैं। मतदाता पुनरीक्षण को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह चुनाव आयोग का अभियान भाजपा का षड्यंत्र है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में भाजपा भयभीत है कि बिहार के लोगों को जन सुराज के रूप में एक विकल्प मिल गया है। इसलिए वे चाहते हैं कि समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को परेशान किया जाए और संभव हो तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग किसी की नागरिकता का निर्धारण नहीं कर सकता, यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है।
उन्होंने सभी से अपील की कि यदि आपका नाम वोटर लिस्ट से कटता है, तो आप जन सुराज से संपर्क करें। हम आपकी लड़ाई लड़ेंगे। प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर किशनगंज के एमजीएम कॉलेज पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक भाजपा या दिलीप जायसवाल ने हमारे सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं दिखाई है। आगे हम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके काले कारनामों का खुलासा करेंगे। यदि वे गलत आरोप लगा रहे हैं, तो वे मेरे खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते?