क्या प्रियंका गांधी मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंचीं?

सारांश
Key Takeaways
- प्रियंका गांधी का मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य दौरा।
- डॉ. अरुण जकारिया के साथ महत्वपूर्ण चर्चा।
- मानव-पशु संघर्ष को समझने की दिशा में कदम।
- कुमकी हाथियों का प्रशिक्षित करना आवश्यक।
- निलंबूर टीक बागान की विशेषताएं।
केरल, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वायनाड क्षेत्र से सांसद और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इन दिनों केरल के दौरे पर हैं। वे मंगलवार को मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंचीं, जहां उन्होंने डॉ. अरुण जकारिया से मुलाकात की।
इस दौरान प्रियंका गांधी ने मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया। वीडियो में वे वहां उपस्थित कुछ लोगों से चर्चा करती नजर आ रही हैं। प्रियंका ने लिखा कि मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य में उनकी मुलाकात डॉ. अरुण जकारिया से हुई। डॉ. जकारिया एक कुशल पशु चिकित्सक हैं और जंगली जानवरों, जंगल और उनके मुद्दों के बारे में गहरी जानकारी रखते हैं।
उनका और वन अधिकारियों का अनुभव इस क्षेत्र में पशु-मानव संघर्ष को समझने और प्रबंधित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रयास का एक हिस्सा कुमकी हाथियों को प्रशिक्षित करना है, जो मानव बस्तियों में घुसने वाले जंगली हाथियों को भगा देते हैं।
वायनाड में मानव-पशु संघर्ष एक जटिल समस्या है, जिसके समाधान के लिए मिलकर काम करना आवश्यक है।
इससे पहले, प्रियंका गांधी ने सोमवार को मलप्पुरम जिले के निलंबूर के टीक बागान कॉनॉली प्लॉट का दौरा किया था। उन्होंने इस दौरे की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की थीं।
प्रियंका गांधी ने बताया कि निलंबूर टीक विश्व प्रसिद्ध है और इसे बकिंघम पैलेस, रॉल्स-रॉयस कारों समेत कई जगहों पर इस्तेमाल किया गया है। यह एशिया का सबसे पुराना टीक बागान भी है। प्रियंका ने कहा कि सबसे रोचक यह जानना था कि यह जंगल वास्तव में एक बेशकीमती खजाना है। इसके अलावा, वे वायनाड के चेत्तियालथुर गांव भी गई थीं।