क्या जम्मू-कश्मीर में जंगल की आग ने बारूदी सुरंगों को विस्फोटित किया?
सारांश
Key Takeaways
- पुंछ में जंगल की आग ने बारूदी सुरंगों को विस्फोटित किया।
- इस घटना से सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- किसी भी नुकसान की रिपोर्ट नहीं है।
- आग बुझाने के प्रयास जारी हैं।
- जंगलों में सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
जम्मू, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस) - जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट जंगल में लगी आग के कारण रविवार को कई बारूदी सुरंगों में विस्फोट हुए। ये बारूदी सुरंगें सीमा पार से घुसपैठ रोकने के लिए बिछाई गई थीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुंछ के जंगल में लगी आग के कारण आधा दर्जन से अधिक बारूदी सुरंगें फट गईं। एक अधिकारी ने बताया कि सुबह करीब 10 बजे बालाकोट के जंगल में जीरो लाइन के पास आग लग गई, जिसके चलते घुसपैठ रोधी बाधा प्रणाली में छह से अधिक बारूदी सुरंगें विस्फोटित हुईं।
अधिकारी ने कहा कि विस्फोट से किसी प्रकार के नुकसान की कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि आग अभी भी भड़क रही है और इसे बुझाने के प्रयास जारी हैं।
कंट्रोल लाइन पर जीरो लाइन के समीप अग्रिम क्षेत्रों में बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं, जो सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए एक व्यापक घुसपैठ रोधी बाधा प्रणाली का हिस्सा हैं।
नियंत्रण रेखा पर 24 घंटे गश्त करने वाले सैन्य जवानों के पास बारूदी सुरंगों वाले क्षेत्र से बचने के लिए विस्तृत नक्शे मौजूद हैं।
गश्त कर रहे किसी सैनिक के बारूदी सुरंग पर पैर पड़ने की दुर्लभ घटनाएं तकनीकी रूप से 'ड्रिफ्ट माइंस' के कारण होती हैं।
जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी घुसपैठ-रोधी अवरोध प्रणाली लागू है, जो 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा की तुलना में 240 किलोमीटर लंबी है।
सेना घाटी के बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों और जम्मू संभाग के पुंछ, राजौरी और आंशिक रूप से जम्मू जिले में स्थित नियंत्रण रेखा की रक्षा करती है। अंतरराष्ट्रीय सीमा जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में है।